माँ बीमार है
दिल थोडा कमजोर हो गया,घबराता है
थोडा सा भी खाने से जी मचलता है
आधी से भी आधी रोटी खा पाती है
अस्पताल का नाम लिया तो घबराती है
साँस फूलने लगती जब कुछ चल लेती है
टीवी पर ही कथा भागवत सुन लेती है
जी घबराता रहता है ,आता बुखार है
माँ बीमार है
प्रात उठ स्नान ध्यान पूजन आराधन
गीताजी का पठान आरती भजन कीर्तन
फिर कुछ खाना,ये ही दिनचर्या होती थी
और रात को हाथ सुमरनी ले सोती थी
ये दिनचर्या बीमारी में छूट गयी है
कमजोरी के कारण थोड़ी टूट गयी है
बीमारी की लाचारी से बेक़रार है
माँ बीमार है
फ़ोन किसी का आता है,खुश हो जाती है
कोई मिलने आता है,खुश हो जाती है
याद पुरानी आती है,गुमसुम हो जाती
बहुत पुरानी बाते खुश हो होकर बतलाती
अपना गाँव माकन मोहल्ला याद आते है
पर ये तो हो गयी पुरानी सी बाते है
एक बार फिर जाय वहां ,मन बेक़रार है
माँ बीमार है
बचपन में मै जब रोता था,माँ जगती थी
बिस्तर जब गीला होता था,माँ जगती थी
करती दिन भर कम ,रात को थक जाती थी
दर्द हमें होता था और माँ जग जाती थी
अब जगती है,नींद न आती ,तन जर्जेर है
फिर भी सबके लिए कम, करने तत्पर है
ये ममता ही तो है ,माँ का अमिटप्यार है
माँ बीमार है
उसके बोये हुए वृक्ष फल फूल रहे है
सभी याद रखते है पर कुछ भूल रहे है
सबसे मिलने ,बाते करने का मन करता
देखा उसकी आँखों में संतोष झलकता
और जब सब मिलते है तो हरषा करती है
सब पर आशीर्वादो की बर्षा करती है
अपने बोये सब पोधों से उसे प्यार है
माँ बीमार है
यही प्रार्थना हम करते हैं हे इश्वर
उनका साया बना रहे हम सबके ऊपर
जल्दी से वो ठीक हो जाये पहले जैसी
प्यार,दांत फटकार लगाये पहले जैसी
फिर से वो मुस्काए स्वर्ण दन्त चमका कर
हमें खिलाये बेसन चक्की स्वम बना कर
प्रभु से सबकी यही प्रार्थना बार बार है
माँ बीमार है
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Saturday, October 2, 2010
फरमाइश
फरमाइश
तुमने जब जब भी पहने
सुंदर कपडे ,सुंदर गहने
और सझधज कर तैयार हुई
तुम खिलती हुई बहार हुई
देखा करते SHRANGAR तुम्हे
मन मचला करने प्यार तुम्हे
मैं लेकर तुमको बाँहों में
उड़ चला प्यार की राहों में
जब मन में था तूफ़ान उठा
तो तन का सब श्रंगार हटा
न वस्त्र रहे तन पर पहने
बिखरे सब इधर उधर गहने
फैला काजल फैली लाली
बिखरी सब जुल्फे मतवाली
जिनने की मुझे लुभाया था
कुछ करने को उकसाया था
जब बात प्यार की आती है
साडी चीजे हट जाती है
तन की नेसर्गिक सुन्दरता
पाकर ही है ये मन भरता
तो क्यों गहनों की ख्वाहिश है
और कपड़ो की फरमाइश है
Farmaish
Whenever you are beautifully dressed,
I like it and get impressed
All make-up and ornaments you wear
You bloom like a flower,my dear
By seing your beautiful charms
I embrace you in my arms
And when,in bedroom we moved
All the ornaments are removed
And your beautiful bode undressed
We loved each other and embraced
I kissed you and kissed and kissed
All make-up and lipstick vanished
All the dresses and ornaments that excite
Are gone away and out of sight
Woman’s body’s natural beauty
Is the most satisfying thing,Oh cutie
Then why ornaments you want to purchase
And want me to buy you costly dress
तुमने जब जब भी पहने
सुंदर कपडे ,सुंदर गहने
और सझधज कर तैयार हुई
तुम खिलती हुई बहार हुई
देखा करते SHRANGAR तुम्हे
मन मचला करने प्यार तुम्हे
मैं लेकर तुमको बाँहों में
उड़ चला प्यार की राहों में
जब मन में था तूफ़ान उठा
तो तन का सब श्रंगार हटा
न वस्त्र रहे तन पर पहने
बिखरे सब इधर उधर गहने
फैला काजल फैली लाली
बिखरी सब जुल्फे मतवाली
जिनने की मुझे लुभाया था
कुछ करने को उकसाया था
जब बात प्यार की आती है
साडी चीजे हट जाती है
तन की नेसर्गिक सुन्दरता
पाकर ही है ये मन भरता
तो क्यों गहनों की ख्वाहिश है
और कपड़ो की फरमाइश है
Farmaish
Whenever you are beautifully dressed,
I like it and get impressed
All make-up and ornaments you wear
You bloom like a flower,my dear
By seing your beautiful charms
I embrace you in my arms
And when,in bedroom we moved
All the ornaments are removed
And your beautiful bode undressed
We loved each other and embraced
I kissed you and kissed and kissed
All make-up and lipstick vanished
All the dresses and ornaments that excite
Are gone away and out of sight
Woman’s body’s natural beauty
Is the most satisfying thing,Oh cutie
Then why ornaments you want to purchase
And want me to buy you costly dress