मै तृप्त हो गयी
प्यासा था तनमन अन्तरतर
तूने दिया अंजुरी भर जल
मै तृप्त हो गयी
मेघा घिर घिर कर आते थे
अविरल जल भी बरसाते थे
मै रहती प्यासी की प्यासी
मेरे मन में अँधियारा था
भले चांदनी उजियारा था
मै अपूर्ण, थी पूरनमासी
तुमने जला प्रेम की बाती
जगमग रातें की मदमाती
मै तृप्त हो गयी
इस जीवन में सूनापन था
चुप चुप फीका सा जीवन था
तुम आये तो स्वाद आ गया
तुमने आकर फूल खिलाये
बगिया महकी,हम मुस्काए
एक नया उन्माद छा गया
जब तुम्हारी खुशबू महकी
तुम भी बहके ,मै भी बहकी
मै तृप्त हो गयी
प्यासा था तनमन अन्तरतर
तूने दिया अंजुरी भर जल
मै तृप्त हो गयी
मेघा घिर घिर कर आते थे
अविरल जल भी बरसाते थे
मै रहती प्यासी की प्यासी
मेरे मन में अँधियारा था
भले चांदनी उजियारा था
मै अपूर्ण, थी पूरनमासी
तुमने जला प्रेम की बाती
जगमग रातें की मदमाती
मै तृप्त हो गयी
इस जीवन में सूनापन था
चुप चुप फीका सा जीवन था
तुम आये तो स्वाद आ गया
तुमने आकर फूल खिलाये
बगिया महकी,हम मुस्काए
एक नया उन्माद छा गया
जब तुम्हारी खुशबू महकी
तुम भी बहके ,मै भी बहकी
मै तृप्त हो गयी