Monday, April 11, 2011

नीम के पत्ते

   नीम के पत्ते
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घूँट कड़वे पी लियें है ,इतने अनजाने
नीम के पत्तों में ,स्वाद लगा है आने
                        १
कभी सुना करते थे ,गानों की मधुर तान
और सोया करते थे ,चैन से खूँटी तन
भूल गये वो  गाने   ,दूर  हुई वो ताने
अब तो बस मिलते है ,सुनने को बस ताने
मधुर सुर की आशा में,जीतें है, मस्ताने
नीम के पत्तो में ,स्वाद लगा है आने
                      2
बड़े बूढ़े सबका ही ,करते थे बहुत मान
कितनेही त्याग  किये,बुजुर्गों का कहा मान
मात पिता भक्ति के,बदल गये अब माने
सुने अपने दिल की या ,बात  उनकी हम माने
हम पर क्या गुजरी है,ये तो बस हम जाने
नीम के पत्तो में ,स्वाद लगा है आने
                      ३
प्रेम का मधुर मधु ,बरसता था बन बादल
था मिठास कुछ एसा ,खुशियाँ थी बस हर पल
बीत गये है बरसों ,प्यार को अब बरसे
अब मधु की मेह नहीं ,हम मिठास को तरसे
एसा है मधुमेह ,  मीठा ना दे खाने
नीम के पत्तो में ,स्वाद लगा है आने

मदन  मोहन  बाहेती 'घोटू'                         
नोयडा  उ.प्र
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, बुजुर्गों से

 तुम कहते हो ,तुम बुजुर्ग हो,तुम में अनुभव भरा हुआ है
तुमने ही सींचा ,पाला है,वृक्ष तभी यह हरा हुआ है
पर अब तुम सूखे पत्ते हो ,नयी कोंपलों को खिलने दो
हम भी क्या क्या कर सकते है,मौका हमको भी मिलने दो
हम बूढें है, हम वरिष्ठ है,बंद करो, मत रोवो धोवो
खाओ,पीवो;रहो चैन से ,टी वी देख प्रेम से सोवो
खुद भी सोवो ,और चैन से ,अब तुम हमको भी सोने दो
हम निज बलबूते  निपटेंगे,जो भी होता है, होने दो
अरे पुराने कपड़ो के तो,बदले में आ जाते बरतन
और तुम खाली बर्तन जैसे,दिन भर करते रहते ,ठन ठन
बहुत दिनों तक झेल लिया है ,और झेल पाना है भारी
हरिद्वार या वृद्धाश्रम में,रहने की अब उमर तुम्हारी