Sunday, May 8, 2011

मै हरिश्चंद्र हूँ

मै हरिश्चंद्र हूँ
मगर मै वो हरिश्चंद्र नहीं,
जो अपने वचनों की रक्षा के लिए
अपने बीबी बच्चों को बेच दे,
अपने आप को बेच दे
और सत्य पर अडिग रहे,
मै भी अपने वचनों की रक्षा करता हूँ
मगर उन वचनों की,
जो शादी के समय मैंने अपनी पत्नी को थे दिए,
और बीबी बच्चो का पेट पालने के लिए
मै जल्लाद के घर
भी हो सकता हूँ नौकर
बेचता मै भी हूँ अपने आप को
अपने इन्ही वचनों को निभाने को
परिवार की भूख मिटाने को
छोटा मोटा फेवर पाने को
सच से डिग जाता हूँ
झट से बिक जाता हूँ
रोज रोज बिकता हूँ
सत्य मै भी बोलता हूँ
जैसे मैंने अभी जो बात कही है
एक दम सत्य है,सही है
मै जो हूँ वही हूँ
मै हरिश्चंद्र हूँ,
पर वो हरिश्चंद्र नहीं हूँ

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

तुम डाल डाल -हम पात पात

तुम डाल डाल -हम पात पात
तुम भी नेता ,हम भी नेता
हम दोनों की है एक जात
हम एक गली में रहते है
पर एक दूजे से लड़ते है
नित भौं भौं करते रहते है
आपस में खूब झगड्तें है
पर जब खाना पीना हो तो
हम हो जाते है साथ साथ
तुम डाल डाल ,हम पात पात
जब तुम भी कम और हम भी कम
फिर आपस में कैसी अनबन
तुम भी भूखे ,हम भी भूखे
तो फिर क्यों करनी लाज शरम
बन जाए खिचड़ी क्यों ना हम,
आपस में करके मुलाक़ात
तुम दाल दाल ,हम भात ,भात
तुम बैठे हो पद पर अच्छे
हम तो है तुम्हारे चमचे
जब है सब ही फल फूल रहे
तो हम भी क्यों ना करें मजे
तुम भरे कडावों से बांटो
हम है फैलाये खड़े हाथ
तुम डाल देव,हम पात पात

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

एक अनार -सौ बीमार

एक अनार -सौ बीमार
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एक शुष्क दफ्तर में
काम करने
जब एक आधुनिका नार आ गयी
तर हो गया ,वातावरण दफ्तर का,
बहार  आ गयी
 उसके करीब आने की होड़
लोगों में इतनी बढ़ गयी
की दफ्तर की काया ही बदल गयी
साहब खुश थे,
काम की इफ़िसिएन्सि बढ़ गयी
देख कर के ये हाल
हमने कहा यार,
ये तो है वो ही मिसाल
एक अनार ,सो बीमार
हमारा ये कहना,
उनके एक बुजुर्ग से आशिक को
नहीं सुहाया
उन्होंने हमें समझाया
आप भी गजब ढाते है
एक सुमुखी 'नार' को 'अनार' बतलाते है
काहे एक 'अबला' को सताते है
 हमने कहा श्रीमान
हम एक 'नार'को 'अनार' कहें
तो आप बुरा मान जाते है
और खुद एक 'बला' को'अबला' बताते है
हमारी बात सुन,
पहले तो वो हमें ताकने लगे
और क्योंकि वो बगल में बैठी थी,
बगलें झाँकने  लगे

मदन मोहन बहेती 'घोटू'


मच्छर

मच्छर
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मच्छरों से त्रस्त एक महिला ने
पूछा अपनी पड़ोसन नवविवाहिता  पड़ोसिन से
आप मच्छरों को कैसे भगाती है?
कौन सी दवा काम में  लाती है?
नवविवाहिता बोली शरमा कर
जी ,हमें तंग नहीं करते  है मच्छर
दर असल हमारे बेडरूम का वातावरण इतना रोमांटिक है
कि मच्छर भी रोमांटिक हो जाते है
एक दूसरे में खो जाते है
हमको बिलकुल नहीं सताते है
पड़ोसिन बोली,
हाँ तभी वे सब के सब
थके हारे जब
हमारे यहाँ आते है
तो भिनभिनाते है

मदन मोहन बहेती 'घोटू'