वक्र-चक्र
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लचकीली जिव्हा है,लचकीली ग्रिव्हा है,
और कमर लचकीली, ने मन ललचाया है
देह ऐसी प्रभु दीन ,कटि तेरी बहुत क्षीण,
ऊपर उन्नत उरोज,से तन सजाया है
नीचे नितम्ब भार,मतवाली चलत चाल,
जाल वक्र रेखा का तन पर बिछाया है
मुस्काते अधर वक्र,देखे तो नज़र वक्र,
तेरी वक्र रेखाओं ने तो कमाल ढाया है
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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लचकीली जिव्हा है,लचकीली ग्रिव्हा है,
और कमर लचकीली, ने मन ललचाया है
देह ऐसी प्रभु दीन ,कटि तेरी बहुत क्षीण,
ऊपर उन्नत उरोज,से तन सजाया है
नीचे नितम्ब भार,मतवाली चलत चाल,
जाल वक्र रेखा का तन पर बिछाया है
मुस्काते अधर वक्र,देखे तो नज़र वक्र,
तेरी वक्र रेखाओं ने तो कमाल ढाया है
मदन मोहन बहेती 'घोटू'