वो लेट क्यों आते है?
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कुछ लोग पार्टियों में,
हमेशा देर से आते है
और सबका अटेंशन पाते है
उनका ये सोचना है,
कि सजने सँवारने में इतना टाइम लगाओ
लेटेस्ट फेशन के कपड़ों में,पार्टी में जाओ
और देखने वाले हों बस
केवल आठ या दस
तो बताओ आपको क्या मज़ा आएगा?
सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा
मज़ा तो तब है,जब आपकी एंट्री हो
चारों तरफ अच्छी जेन्ट्री हो
पचासों लोगों कि निगाहें
आप पर आकर ठहर जाए
हर कोई आपसे मिलना चाहेगा
आपका सजना संवारना सफल हो जाएगा
जब पार्टी शबाब पर होती है
आपकी आमद गुलाब सी होती है
लेट आने पर मिलती है सभी कि अटेंशन
अरे ये तो है प्रकृति का नियम
क्योंकि जब पैदा होता इंसान है
तो होते दो हाथ,दो पैर,आँखें और कान है
पर शरीर के कुछ अंग जो देर से आते है
तो सबसे ज्यादा अटेंशन पाते है
जैसे मर्दों कि दाड़ी मूंछे,लेट आती है
और औरतों के यौवन का उभार लेट आता है
मन को कितना लुभाता है
ये ही वो चिन्ह है कि जिनको,
जवानी कि पहचान कहा जाता है
लेट आना प्रतीक है यौवन का,
इसलिए जब पार्टी जवान होती है
वो नज़र आते है
अब समझ गए ना,
वो पार्टी में लेट क्यों आते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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कुछ लोग पार्टियों में,
हमेशा देर से आते है
और सबका अटेंशन पाते है
उनका ये सोचना है,
कि सजने सँवारने में इतना टाइम लगाओ
लेटेस्ट फेशन के कपड़ों में,पार्टी में जाओ
और देखने वाले हों बस
केवल आठ या दस
तो बताओ आपको क्या मज़ा आएगा?
सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा
मज़ा तो तब है,जब आपकी एंट्री हो
चारों तरफ अच्छी जेन्ट्री हो
पचासों लोगों कि निगाहें
आप पर आकर ठहर जाए
हर कोई आपसे मिलना चाहेगा
आपका सजना संवारना सफल हो जाएगा
जब पार्टी शबाब पर होती है
आपकी आमद गुलाब सी होती है
लेट आने पर मिलती है सभी कि अटेंशन
अरे ये तो है प्रकृति का नियम
क्योंकि जब पैदा होता इंसान है
तो होते दो हाथ,दो पैर,आँखें और कान है
पर शरीर के कुछ अंग जो देर से आते है
तो सबसे ज्यादा अटेंशन पाते है
जैसे मर्दों कि दाड़ी मूंछे,लेट आती है
और औरतों के यौवन का उभार लेट आता है
मन को कितना लुभाता है
ये ही वो चिन्ह है कि जिनको,
जवानी कि पहचान कहा जाता है
लेट आना प्रतीक है यौवन का,
इसलिए जब पार्टी जवान होती है
वो नज़र आते है
अब समझ गए ना,
वो पार्टी में लेट क्यों आते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'