Wednesday, September 14, 2011

या मै जानू या तुम जानो

या मै जानू या तुम जानो
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हम दोनों का प्यार पुराना,
परिणिति  परिणय में बदली
पंख लगा कर उड़ते थे हम,
मै भी पगला,तुम भी पगली
और फिर जीवन चक्र चला तो,
सर पर आयी जिम्मेदारी
घर से दफ्तर,दफ्तर से घर,
भाग दौड़ ,मेहनत,लाचारी
थका हुआ आता दफ्तर से,
मुझे  प्यार से तुम सहलाती
प्यार भरा सुन्दर चेहरा लख,
मेरी सब थकान मिट जाती
नए जोश और नयी फुर्ती से,
भरने लगता मन उडान है
जब है मेरा प्यार उमड़ता,
चढ़ जाती फिर से थकान है
लगती कभी एश्वर्या तुम,
लगती कभी सायरा बानो
कैसा है ये खेल प्यार का,
या मै जानू या तुम जानो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

श्वेत किरण और सात रंग

श्वेत किरण और सात रंग
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विधाता ने जब सृष्टि का सृजन किया,
और अपने प्रकाश पुंज की किरणों से,
मानव का निर्माण किया
तब हर मानव,प्रकाश की किरणों सा,
चमकीला,निष्कलंक और श्वेत था
 कालांतर में कुछ त्रिपार्श्व कांचो(prism ) का,
उद्भव हुआ,
जिसने प्रकाश की श्वेत किरणों को,
कई रंगों में बाँट डाला,
ये अलग अलग रंग,
अलग अलग धर्मो की पहचान बन गए
और दुनियां में एक दुसरे के बीच,
दीवारें खड़ी हो गयी
ये जगती,एक चक्र सी है,
जिसमे साफ साफ सात रंग दिखाई देते है,
अब प्रतीक्षा है,
एक ऐसे अवतार की,
जो इस चक्र को,
इतनी तेज गति से घुमा दे कि,
सातों रंग अपनी विविधता छोड़,
फिर से सिर्फ श्वेत ही दिखने लगें

मदन मोहन बहेती'घोटू' 


मैया,बहुत दिनन में आयी

(सोनिया जी के वेदेश से वापस आने पर)
              पद
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मैया,बहुत दिनन में आयी
दस जनपथ सूना सूना था,समय  कटा दुःख दायी
भ्रष्टाचार हटे  जनता  ने,ऐसी मुहिम  चलायी
चिदंबरम की चल चित भयी,गयी कपिल कुटिलाई
अन्ना जी के आन्दोलन ने,सबको धूल चटायी
सभी विपक्षी एक हो गये,संसद चल ना पायी
सांसद के खरीद मुद्दे पर,अमर  जेल भिजवायी
अब चुनाव  नज़दीक आत है,जन जागृति है छायी
अब तो तुम्ही सहारा  मैया,देत न राह दिखायी
कोई लोलीपोप चुसा दो,जनता को भरमायी
सत्ता सुख भोगें राहुल को,हम पी एम बनायी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'