Friday, October 14, 2011

काम ही पूजा है

काम  ही पूजा है
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निष्काम भाव से काम नहीं है होता
क्योंकि काम में काम बसा है होता
और काम ही पूजन है आराधन
आराधन के मन में भी रहता धन
आराधन  के बाद आरती   होती
बसी आरती में भी रति है होती
और आरती बाद भोग है चढ़ता
और भोग सम्भोग शब्द में बसता
काम ,रति,सम्भोग,सृजन क्रियाएं
करें आरती ,पूजन ,भोग चढ़ाएं

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 

पानी ही पानी

पानी ही पानी
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जब किसी सुन्दर सी लड़की की जवानी,
और चेहरे का पानी देख
किसी लड़के के मुंह में पानी आता है
तो वह उसे पटाने के लिए ,
पैसा पानी की तरह बहाता है
और जब प्यार परवान चढ़ता है
तो वह उससे पाणिग्रहण  करता है
 अपना घर बसाता है
गृहस्थी का बोझ,जब कंधो पर पड़ता है
साड़ी मौज मस्ती पर पानी फिर जाता है
और फिर वह घर चलाने के लिए
पसीना पानी की तरह बहाता है
कभी प्यार में,कभी मनुहार में
पानी पानी होता रहता है
बहुत कुछ  सहता है
और जब पानी सर के ऊपर से
गुजरने लगता है
उसकी आँखों से पानी बहता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रावण का पुनर्जन्म

रावण का पुनर्जन्म
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रामायण की कथा ,मुझे अच्छी लगती है
राम से बेटे,
सीता सी पत्नी,
और लक्ष्मण से भाई
आज के सन्दर्भ में,ये बातें,
अविश्वसनीय तो है,
मगर एक बात आज भी सच्ची लगती है
की रावण नाभि में,अमृत कुंड था,
ये तथ्य आज भी नज़र आता है
  हम हर साल दशहरे पर रावण को मारते है
पर हर अगले दशहरे पर, 
उसका पुनर्जन्म हो जाता है
कोई कितनी ही कोशिश करे,
उसका कुछ नहीं बिगड़ सकता
ये भ्रष्टाचार का रावण है
कभी मर नहीं सकता

मदन मोहन बहेती]घोटू'

 

एक चिठ्ठी -मनमोहन सिंह जी के नाम

एक चिठ्ठी -मनमोहन सिंह जी के नाम
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आदरणीय मनमोहन सिंह जी,
सादर प्रणाम
(राम राम नहीं करूँगा ,
वर्ना आप मुझे बी जे पी का समझ लेंगे
और ये चिठ्ठी दिग्विजय सिंह को दे देंगे)
दशहरे के दिन आपको टी वी पर देखा,
रामलीला मैदान में
हाँ,उसी राम लीला मैदान में,
जहाँ आपकी सेना ने,
युद्ध के सारे नियमो का अवलंघन कर,
रात के दो बजे,
लाठी चार्ज किया था,
सोती हुई महिलाओं और साधू संतो पर
आपने मंचासीन होकर,
सोनिया जी के साथ में
धनुष बाण लेकर हाथ में
कागज के पुतले रावण पर तीर चलाया
हर साल की प्रक्रिया को दोहराया
जैसे हर साल आप पंद्रह अगस्त पर,
लाल किले पर भाषण देते हुए,
अपनी मृदुल वाणी में बतलाते है
की मंहगाई घटा देंगे
भ्रष्टाचार मिटा देंगे
पर ये दोनों बढ़ते ही जाते है
आप कुछ नहीं कर पाते है
और इसे गठबंधन की मजबूरी बताते है
वैसे ही दशहरे के दिन तीर चलाने से,
भ्रष्टाचार का रावण नहीं मर पायेगा
आपका तीर खाने को बार बार,
हर साल दशहरे को आएगा
क्योंकि उसकी महिमा प्रचंड है
आप लोगों की कृपा से,
उसकी नाभि में ,अमृत कुंड है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

सानिध्य सुख

सानिध्य सुख
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मुझे मत ऐसे निहारो,मचल जाए मन न मेरा
इन नज़र की बिजलियों से,जल न जाये बदन मेरा
कौन सी उर्जा छुपी है,तुम्हारे तन की छुवन में
फैलती विद्युत तरंगें, शिराओं में और बदन में
तुम्हारे आगोश में आ ,जोश भरता  है उछाले
होश ही रहता कहाँ है,पास में आकर  तुम्हारे
प्यार की उष्मा तुम्हारे ,इस तरह तन को तपाती
मोम सा मन पिघल जाता,जब मिलन बाती जलाती
उस मिलन की वारुणी से,मचलता मदहोश मन है
तैर कर आनंद उदधि में,बदन में आती थकन है
डूब तुम में समा कर मन,दूर हो जाता जहाँ से
इस तरह मुझको सताना,बताओ सीखा कहाँ से
रसीला,मादक बहुत है,मिलन रस का मधुर प्याला
तुम्हारे सानिध्य का सुख,बड़ा ही अद्भुत  निराला

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रोटी मिलेगी

रोटी मिलेगी
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राहुल गांधीजी ,
आप किसी गरीब के घर जाते हो
दरवाजा खटखटाते हो
और मांगते हो ,रोटी मिलेगी
और वो गरीब परिवार
खुश होकर अपार
आपको  आलू की सब्जी पूरी खिलाता है
और धन्य हो जाता है
अगर वो ही गरीब परिवार
भूख से बेहाल
आपके घर आये
और गुहार लगाये
रोटी मिलेगी
तो सबसे पहले,
उसे आपकी सिक्युरिटी मिलेगी
फिर पोलिस वालों के  डंडे, तलाशी
थाने में इन्क्वायरी अच्छी खासी
 सुनने को बहुत खरी खोटी मिलेगी
हाँ,लोकअप में शायद,
खाने को जेल की रोटी मिलेगी

मदन मोहन  बाहेती 'घोटू'