आप आये जिंदगी में
इस चमन में अब बहारें,इस कदर छाने लगी है
चांदनी भी अब यहाँ पर,उतर,इतराने लगी है
आप आये ,जिंदगी में,फूल इतने खिल गए है,
खुशबुए हर तरफ से ही,प्यार की आने लगी है
कल तलक ग़मगीन सी थी,बड़ी ही बेचैन,बेकल,
जिंदगी,पुलकित प्रफुल्लित,आज मुस्काने लगी है
घुट रही थी मन ही मन में,सिसकती,चुपचाप थी,
बुलबुलें फिर से चमन में,गीत अब गाने लगी है
थे अधूरे आप भी और हम भी थे पूरे नहीं,
मिलन जब अपना हुआ तो पूर्णता आने लगी है
शीत की सिहरन गयी और तपन गर्मी की मिटी,
अब तो बारह मास ही,ऋतू बसंती छाने लगी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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Sunday, April 15, 2012
देश विदेश
देश विदेश
गए थे तुम जिन दिनों नियागरा
उन दिनों हम घुमते थे आगरा
भ्रमण पर थे जिन दिनों तुम चीन में,
हमने भी कोचीन का था रुख करा
तुम गए जब टोकियो जापान में,
उन दिनों हम टोंक राजस्थान में
घूमते थे हम मसूरी पहाड़ पर,
जिन दिनों थे आप सूरीनाम में
आप रियो में थे तो रीवां में हम,
हम मनाली में थे तुम थे मनीला
केन्या में सफारी तुमने किया,
कान्हा में टाइगर हमको मिला
तुमने आबूधाबी में शोपिंग करी,
हमने आबू जी में जा ,दर्शन किया
उन दिनों हम लोग थे इन्दोर में,
जिन दिनों तुम गये इंडोनेशिया
आप थे दुबाई हम मुम्बाई में,
आप सिंगापूर, हम सिंगरूर में
हम भ्रमण करते रहे निज देश में,
और तुम घूमे विदेशी टूर में
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
गए थे तुम जिन दिनों नियागरा
उन दिनों हम घुमते थे आगरा
भ्रमण पर थे जिन दिनों तुम चीन में,
हमने भी कोचीन का था रुख करा
तुम गए जब टोकियो जापान में,
उन दिनों हम टोंक राजस्थान में
घूमते थे हम मसूरी पहाड़ पर,
जिन दिनों थे आप सूरीनाम में
आप रियो में थे तो रीवां में हम,
हम मनाली में थे तुम थे मनीला
केन्या में सफारी तुमने किया,
कान्हा में टाइगर हमको मिला
तुमने आबूधाबी में शोपिंग करी,
हमने आबू जी में जा ,दर्शन किया
उन दिनों हम लोग थे इन्दोर में,
जिन दिनों तुम गये इंडोनेशिया
आप थे दुबाई हम मुम्बाई में,
आप सिंगापूर, हम सिंगरूर में
हम भ्रमण करते रहे निज देश में,
और तुम घूमे विदेशी टूर में
मदन मोहन बहेती 'घोटू'