चार चतुष्पदी
१
बाजुओं में आपके होना बहुत दम चाहिये
जिंदगानी के सफ़र में सच्चा हमदम चाहिये
अरे'मै'मै'मत करो,'मै 'से झलकता अहम् है,
साथ सबका चाहिये तो 'मै'नहीं'हम 'चाहिये
२
किटकिटाते दांतों को,होंठ छुपा देते है
चेहरे की रौनक में,चाँद लगा देते है
होंठ मुस्कराते तो फूल बिखरने लगते,
होंठ मिले,चुम्बन का स्वाद बढ़ा देते है
३
दूध में खटास डालो,दूध फट जाता है
रिश्तों में खटास हो तो घर टूट जाता है
जीवन तो पानी का ,एक बुलबुला भर है,
हवा है तो जिन्दा है,वर्ना फूट जाता है
४
मुझे,आपको और सभी को ये पता है
अँधा भी रेवड़ी,अपनों को ही बांटता है
सजे से शोरूम से जो तुम उतारो सड़क पर,
पैरो तले कुचलने से,जूता भी काटता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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Monday, July 16, 2012
मेरे दिल का मकां खाली
मेरे दिल का मकां खाली
घुमड़ कर छातें है बादल,पर बरसते हैं नहीं
आप खुश तो नज़र आते,मगर हँसते है नहीं
खामखाँ ही आशियाना,ढूँढने को भटकते ,
मेरे दिल का मकां खाली ,इसमें बसते हैं नहीं
पड़े तनहा बिस्तरे पर ,रहते हैं तकिया लिए,
हमें तकिया समझ बाँहों में यूं कसते है नहीं
करते रहते खुद से बातें,आईने के सामने,
मुस्करा ,दो घडी ,बातें,हमसे करते है नहीं
बेपनाह इस हुस्न को लेकर न यूं इतराइये,
इश्क के बिन हुस्न वाले,भी उबरते है नहीं
करने इजहारे मुहब्बत,आपके दर आयेंगे,
हम वो आशिक ,जो किसी से,कभी डरते है नहीं
क्या कभी देखा है तुमने,जिनके दिल हो धधकते,
वो हमारी तरह ठंडी आहें भरते है नहीं
आपकी इस बेरुखी ने,कितना तडफाया हमें,
खुद भी तड़फे होगे क्या ये ,हम समझते हैं नहीं
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
घुमड़ कर छातें है बादल,पर बरसते हैं नहीं
आप खुश तो नज़र आते,मगर हँसते है नहीं
खामखाँ ही आशियाना,ढूँढने को भटकते ,
मेरे दिल का मकां खाली ,इसमें बसते हैं नहीं
पड़े तनहा बिस्तरे पर ,रहते हैं तकिया लिए,
हमें तकिया समझ बाँहों में यूं कसते है नहीं
करते रहते खुद से बातें,आईने के सामने,
मुस्करा ,दो घडी ,बातें,हमसे करते है नहीं
बेपनाह इस हुस्न को लेकर न यूं इतराइये,
इश्क के बिन हुस्न वाले,भी उबरते है नहीं
करने इजहारे मुहब्बत,आपके दर आयेंगे,
हम वो आशिक ,जो किसी से,कभी डरते है नहीं
क्या कभी देखा है तुमने,जिनके दिल हो धधकते,
वो हमारी तरह ठंडी आहें भरते है नहीं
आपकी इस बेरुखी ने,कितना तडफाया हमें,
खुद भी तड़फे होगे क्या ये ,हम समझते हैं नहीं
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
क्या जरूरी गाय घर में पालना?
क्या जरूरी गाय घर में पालना?
क्या जरूरी गाय घर में पालना,
दूध मिलता है बहुत बाज़ार में
क्यों उठायें सेकड़ों हम जहमतें,
दूध पाने के लिए बेकार में
चंद महीने दूध देती गाय है,
कुछ दिनों के बाद होती ड्राय है
साथ में बछड़ा पड़ेगा पालना,
दूध पीने का अगर जो चाव है
दूध देती गाय मारे लात भी,
दूध के संग लात भी तो खाइये
मार से बचना अगर है आपको,
प्यार से पुचकारिये, सहलाइये
घास भी सूखी,हरी चरवाईये ,
दाना,पानी,खली ,बंटा दीजिये
बांध कर रखिये,न तो भग जायेगी,
सौ तरह की मुश्किलें सर लीजिये
सींगों से भी बचना होगा संभल कर,
बहुत पैनापन है इनकी मार में
क्या जरूरी गाय घर में पालना,
दूध मिलता है बहुत बाज़ार में
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
क्या जरूरी गाय घर में पालना,
दूध मिलता है बहुत बाज़ार में
क्यों उठायें सेकड़ों हम जहमतें,
दूध पाने के लिए बेकार में
चंद महीने दूध देती गाय है,
कुछ दिनों के बाद होती ड्राय है
साथ में बछड़ा पड़ेगा पालना,
दूध पीने का अगर जो चाव है
दूध देती गाय मारे लात भी,
दूध के संग लात भी तो खाइये
मार से बचना अगर है आपको,
प्यार से पुचकारिये, सहलाइये
घास भी सूखी,हरी चरवाईये ,
दाना,पानी,खली ,बंटा दीजिये
बांध कर रखिये,न तो भग जायेगी,
सौ तरह की मुश्किलें सर लीजिये
सींगों से भी बचना होगा संभल कर,
बहुत पैनापन है इनकी मार में
क्या जरूरी गाय घर में पालना,
दूध मिलता है बहुत बाज़ार में
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'