पत्नी-पीड़ित -पति
सारी दुनिया में ले चिराग ,
यदि निकल ढूँढने जाए आप
मुश्किल से ही मिल पायेगा ,
पत्नी पीड़ित पति सा प्राणी
ये बात नहीं है अनजानी
चेहरे पर चिंतायें होगी ,
माथे पर शिकन पड़ी होगी
मुरझाया सा मुखड़ा होगा ,
सूरत कुछ झड़ी झड़ी होगी
सर पर यदि होंगे बाल अगर ,
तो अस्त व्यस्त ही पाओगे ,
वर्ना अक्सर ही उस गरीब ,
की चंदिया उडी उडी होगी
रूखी रूखी बातें करता ,
सूखा सूखा आनन होगा
निचुड़ा निचुड़ा ,सुकड़ा सुकड़ा ,
ढीला ढीला सा तन होगा
आँखों में चमक नहीं होगी ,
कुछ कुछ मुरझायापन होगा
यदि बाहर से हँसता भी हो,
अन्दर से रोता मन होगा
बिचके जो बातचीत में भी,
कुछ कहने में शरमाता हो
पत्नी की आहट पाते ही ,
झट घबरा घबरा जाता हो
चौकन्ना श्वान सरीखा हो,
गैया सा सीधा सीधा हो
पर अपने घर में घुसते ही ,
भीगी बिल्ली बन जाता हो
दिखने में भोला भोला हो
जिसके होंठो पर ताला हो
बोली हो जिसकी दबी दबी ,
और हंसी हँसे जो खिसियानी
मुश्किल से ही मिल पायेगा ,
पत्नी पीड़ित पति सा प्राणी
उस दुखी जीव को देख अगर ,
जो ह्रदय दया से भर जाए
उसकी हालत पर तरस आये,
मन में सहानुभूति छाये
शायद तुम उससे पूछोगे ,
क्यों बना रखी है ये हालत ,
हो सकता है वो घबराये ,
उत्तर देने में कतराये
तुम शायद पूछो क्या ऐसा ,
जीवन लगता है जेल नहीं
चेहरे पर चिंताएं क्यों है,
क्यों है बालों में तेल नहीं
सूखी सी एक हंसी हंस कर ,
शायद वह यह उत्तर देगा ,
पत्नी पीड़ित ,होकर जीवित ,
रह लेना कोई खेल नहीं
मै खोया खोया रहता हूँ,
मुझको जीवन से मोह नहीं
सब कुछ सह सकता ,पत्नी से ,
सह सकता मगर बिछोह नहीं
शायद मेरी कमजोरी है ,
कायरता भी कह सकते हो,
लेकिन अपनी पत्नीजी से ,
कर सकता मै विद्रोह नहीं
कैसे साहस कर सकता हूँ
उनके बेलन से डरता हूँ
पत्नी सेवा है धर्म मेरा ,
पत्नीजी है घर की रानी
मुश्किल से ही मिल पायेगा ,
पत्नी पीड़ित पति सा प्राणी
ऐसे पत्नी पीड़ित पति की भी,
काफी किस्मे होती है
कितने ही आफत के मारों ,
की गिनती इसमें होती है
कोई के पल्ले बंध जाती,
जब बड़े बाप की बेटी है,
तो छोटी छोटी बातों में ,
भी तू तू मै मै होती है
कोई की पत्नी कमा रही,
तो पति पर रौब चलाती है
कोई सुन्दर आँखों वाली है ,
पति को आँख दिखाती है
कोई का पति दीवाना है ,
कोई के पति जी दुर्बल है ,
पति की कोई भी कमजोरी का ,
पत्नी लाभ उठाती है
कुछ ख़ास किसम के पतियों संग ,
एसा भी चक्कर होता है
पति विरही ,तडफे ,पत्नी को ,
पर प्यारा पीहर होता है
कोई की पत्नी सुन्दर है,
सब लोग घूर कर तकते है
कुछ शकी किस्म के पतियों को,
अक्सर ये भी डर होता है
कोई की पत्नी रोगी है
कोई की पत्नी ढोंगी है
कोई की पत्नी करती है ,
अक्सर अपनी ही मन मानी
मुश्किल से ही मिल पायेगा ,
पत्नी पीड़ित पति सा प्राणी
ये बात नहीं है अनजानी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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Sunday, November 18, 2012
नुक्सान
नुक्सान
मेरी शादी नयी नयी थी
मेरी बीबी छुई मुई थी
सीधी सादी भोली भाली
एक गाँव की रहने वाली
ससुर साहब ने पाली भैंसे
बेचा दूध,कमाए पैसे
अरारोट ,पानी की माया
बचा दूध तो दही बनाया
मख्खन,छाछ ,कड़ी बनवायी
घर पर सब्जी कभी न आयी
तो भोली बीबी को लेकर
मैंने बसा लिया अपना घर
तरह तरह की बात बताता
ताज़ी ताज़ी सब्जी लाता
एक दिवस ऑफिस से लौटा
आते ही बीबी ने टोका
तुम्हे ठगा सब्जी वाले ने
धोखा खूब दिया साले ने
सब्जी तुम लाये थे जो भी
हाँ हाँ क्या थी,पत्ता गोभी
छिलके ही छिलके निकले जी
गूदे का ना पता चले जी
मैंने छिलके फेंक दिये है
सारे पैसे व्यर्थ गये है
सुन कर बहुत हंसी सी आई
पत्नीजी ने कभी न खायी
थी सब्जी पत्ता गोभी की
वह ना उसकी माँ दोषी थी
कंजूसी से काम हो गया
पर मेरा नुक्सान हो गया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मेरी शादी नयी नयी थी
मेरी बीबी छुई मुई थी
सीधी सादी भोली भाली
एक गाँव की रहने वाली
ससुर साहब ने पाली भैंसे
बेचा दूध,कमाए पैसे
अरारोट ,पानी की माया
बचा दूध तो दही बनाया
मख्खन,छाछ ,कड़ी बनवायी
घर पर सब्जी कभी न आयी
तो भोली बीबी को लेकर
मैंने बसा लिया अपना घर
तरह तरह की बात बताता
ताज़ी ताज़ी सब्जी लाता
एक दिवस ऑफिस से लौटा
आते ही बीबी ने टोका
तुम्हे ठगा सब्जी वाले ने
धोखा खूब दिया साले ने
सब्जी तुम लाये थे जो भी
हाँ हाँ क्या थी,पत्ता गोभी
छिलके ही छिलके निकले जी
गूदे का ना पता चले जी
मैंने छिलके फेंक दिये है
सारे पैसे व्यर्थ गये है
सुन कर बहुत हंसी सी आई
पत्नीजी ने कभी न खायी
थी सब्जी पत्ता गोभी की
वह ना उसकी माँ दोषी थी
कंजूसी से काम हो गया
पर मेरा नुक्सान हो गया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'