कटु सत्य
वैज्ञानिक बताते है
कि औसतन हम अपने जीवन के ,
पांच साल खाने में बिताते है
और अपने वजन का ,
सात हज़ार गुना खाना खाते है
जब ये बात मैंने एक नेताजी को बतलाई
तो बोले,सच कह रहे हो मेरे भाई
एक बार जब हमें ,आप चुनाव जितलाये थे
पूरे पांच साल ,हमने खाने में बिताये थे
आपसे क्या छुपायें,कितना ,क्या कमाया था ,
अपनी औकात से ,सात हज़ार गुना खाया था
घोटू
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Saturday, December 15, 2012
सपनो को क्या चाटेंगे
तुम भी मुफलिस ,हम भी मुफलिस,आपस में क्या बाटेंगे
बची खुची जो भी मिल जाए , बस वो खुरचन चाटेंगे
एक कम्बल है ,वो भी छोटा,और सोने वाले दो हैं,
यूं ही सिकुड़ कर,सिमटे ,लिपटे, सारा जीवन काटेंगे
लाले पड़े हुये खाने के, जो भी दे ऊपरवाला ,
पीस,पका कर ,सब खा लेंगे ,क्या बीनें,क्या छाटेंगे
झोंपड़ पट्टी और बंगलों के बीच खाई एक ,गहरी है,
झूंठे आश्वासन ,वादों से ,कैसे इसको पाटेंगे
क्या धोवेगी और निचोडेगी ,ये किस्मत नंगी है,
यूं ही फांकामस्ती में क्या ,बची जिन्दगी काटेंगे
किसके आगे अपना दुखड़ा रोने को तुम बैठे हो ,
ना ये तुम्हे सांत्वना देंगे,ना ही सुख दुःख बाटेंगे
पेट नहीं भरता बातों से ,तुम जानो,हम भी जाने,
मीठे सपने,मत पुरसो तुम,सपनो को क्या चाटेंगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
तुम भी मुफलिस ,हम भी मुफलिस,आपस में क्या बाटेंगे
बची खुची जो भी मिल जाए , बस वो खुरचन चाटेंगे
एक कम्बल है ,वो भी छोटा,और सोने वाले दो हैं,
यूं ही सिकुड़ कर,सिमटे ,लिपटे, सारा जीवन काटेंगे
लाले पड़े हुये खाने के, जो भी दे ऊपरवाला ,
पीस,पका कर ,सब खा लेंगे ,क्या बीनें,क्या छाटेंगे
झोंपड़ पट्टी और बंगलों के बीच खाई एक ,गहरी है,
झूंठे आश्वासन ,वादों से ,कैसे इसको पाटेंगे
क्या धोवेगी और निचोडेगी ,ये किस्मत नंगी है,
यूं ही फांकामस्ती में क्या ,बची जिन्दगी काटेंगे
किसके आगे अपना दुखड़ा रोने को तुम बैठे हो ,
ना ये तुम्हे सांत्वना देंगे,ना ही सुख दुःख बाटेंगे
पेट नहीं भरता बातों से ,तुम जानो,हम भी जाने,
मीठे सपने,मत पुरसो तुम,सपनो को क्या चाटेंगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'