स्वाभिमान
किया प्रयास ,दिखूं अच्छा ,पर दिख न सका मै
ना चाहा था बिकना मैंने, बिक न सका मै
मेरे आगे था मेरा स्वाभिमान आ गया
मै जैसा भी हूँ,अच्छा हूँ, ज्ञान आ गया
नहीं चाहता था,विनम्र बन,हाथ जोड़ कर
अपने चेहरे पर नकली मुस्कान ओढ़ कर
करू प्रभावित उनको और मै उन्हें रिझाऊ
उनसे रिश्ता जोडूं ,अपना काम बनाऊ
पर मै जैसा हूँ,वैसा यदि उन्हें सुहाए
मेरे असली रूप रंग में ,यदि अपनाएँ
तो ही ठीक रहेगा ,धोका क्यों दूं उनको
करें शिकायत ,ऐसा मौका क्यों दूं उनको
पर्दा उठ ही जाता,शीध्र बनावट पन का
मिलन हमेशा ,सच्चा होता,मन से मन का
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
http://blogsmanch.blogspot.com/" target="_blank"> (ब्लॉगों का संकलक)" width="160" border="0" height="60" src="http://i1084.photobucket.com/albums/j413/mayankaircel/02.jpg" />
Friday, January 18, 2013
दिल्ली का मौसम -आज का
दिल्ली का मौसम -आज का
रात बारिश हुई थी और गिरे थे ओले,
बिजलियाँ चमकी थी और खूब घिरे थे बादल
आज तो भोर से ही छा रहा घना कोहरा,
हवायें ,तेज भी है,सर्द भी है और चंचल
बड़ी ही ठण्ड है ,छाया है अँधेरा दिन में ,
सुबह से आज तो सूरज भी हो गया गुम है
आओ हम बैठ कर बिस्तर में पकोड़े खायें ,
रजाई में दुबक के रहने का ये मौसम है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
रात बारिश हुई थी और गिरे थे ओले,
बिजलियाँ चमकी थी और खूब घिरे थे बादल
आज तो भोर से ही छा रहा घना कोहरा,
हवायें ,तेज भी है,सर्द भी है और चंचल
बड़ी ही ठण्ड है ,छाया है अँधेरा दिन में ,
सुबह से आज तो सूरज भी हो गया गुम है
आओ हम बैठ कर बिस्तर में पकोड़े खायें ,
रजाई में दुबक के रहने का ये मौसम है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
अपनी अपनी किस्मत
अपनी अपनी किस्मत
जब तक बदन में था छुपा ,पानी वो पाक था,
बाहर जो निकला पेट से ,पेशाब बन गया
बंधा हुआ था जब तलक,सौदा था लाख का,
मुट्ठी खुली तो लगता है वो खाक बन गया
कितनी ही बातें राज की,अच्छी दबी हुई,
बाहर जो निकली पेट से ,फसाद बन गया
हासिल जिसे न कर सके ,जब तक रहे जगे,
सोये तो ,ख्याल ,नींद में आ ख्वाब बन गया
जब तक दबा जमीं में था,पत्थर था एक सिरफ ,
हीरा निकल के खान से ,नायाब बन गया
कल तक गली का गुंडा था ,बदमाश ,खतरनाक,
नेता बना तो गाँव की वो नाक बन गया
काँटों से भरी डाल पर ,विकसा ,बढ़ा हुआ ,
वो देखो आज महकता गुलाब बन गया
घर एक सूना हो गया ,बेटी बिदा हुई,
तो घर किसी का बहू पा ,आबाद हो गया
अच्छा है कोई छिप के और अच्छा कोई खुला,
नुक्सान में था कोई,कोई लाभ बन गया
किस का नसीब क्या है,किसी को नहीं खबर,
अंगूर को ही देखलो ,शराब बन गया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जब तक बदन में था छुपा ,पानी वो पाक था,
बाहर जो निकला पेट से ,पेशाब बन गया
बंधा हुआ था जब तलक,सौदा था लाख का,
मुट्ठी खुली तो लगता है वो खाक बन गया
कितनी ही बातें राज की,अच्छी दबी हुई,
बाहर जो निकली पेट से ,फसाद बन गया
हासिल जिसे न कर सके ,जब तक रहे जगे,
सोये तो ,ख्याल ,नींद में आ ख्वाब बन गया
जब तक दबा जमीं में था,पत्थर था एक सिरफ ,
हीरा निकल के खान से ,नायाब बन गया
कल तक गली का गुंडा था ,बदमाश ,खतरनाक,
नेता बना तो गाँव की वो नाक बन गया
काँटों से भरी डाल पर ,विकसा ,बढ़ा हुआ ,
वो देखो आज महकता गुलाब बन गया
घर एक सूना हो गया ,बेटी बिदा हुई,
तो घर किसी का बहू पा ,आबाद हो गया
अच्छा है कोई छिप के और अच्छा कोई खुला,
नुक्सान में था कोई,कोई लाभ बन गया
किस का नसीब क्या है,किसी को नहीं खबर,
अंगूर को ही देखलो ,शराब बन गया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
उम्मीद का दिया
उम्मीद का दिया
कुछ न कुछ हममे ही शायद कमी रही होगी
या कि किस्मत ही हमारी सही नहीं होगी
जो कि तुमने ये दिल तोड़ने का काम किया
छोड़ कर हमको ,हाथ गैर का है थाम लिया
तुम्हारे मन में यदि शिकवा कोई रहा होता
शिकायत हमसे की होती,हमें कहा होता
करते कोशिश,गिला दूर कर,मनाने की
इस तरह ,क्या थी जरूरत ,तुम्हे यूं जाने की
हमने ,हरदम तुम्हारी ख्वाइशों का ख्याल रखा
तुम्हारी,जरूरतों,फरमाइशों का ख्याल रखा
कभी गलती से अगर हमसे हुई कोई खता
तुम्हारा हक था,हमें प्यार से तुम देती बता
मगर तुम मौन रही ,ओढ़ करके ख़ामोशी
तुम्हारा जीत न विश्वास सके, हम दोषी
मगर तुमने जो है ये रास्ता अख्तियार किया
छोड़ कर हमको ,किसी गैर से है प्यार किया
खैर,अब जो भी गया है गुजर,गुजरना था
यूं ही ,तिल तिल ,तुम्हारे बिन हमें तड़फना था
मिलोगी एक दिन ,आशा लगाए बैठे है
हम तो उम्मीद का दिया जलाये बैठे है
फिर से आएगी खुशनसीबियाँ ,देगी दस्तक
करेंगे इन्तजार आपका ,क़यामत तक
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कुछ न कुछ हममे ही शायद कमी रही होगी
या कि किस्मत ही हमारी सही नहीं होगी
जो कि तुमने ये दिल तोड़ने का काम किया
छोड़ कर हमको ,हाथ गैर का है थाम लिया
तुम्हारे मन में यदि शिकवा कोई रहा होता
शिकायत हमसे की होती,हमें कहा होता
करते कोशिश,गिला दूर कर,मनाने की
इस तरह ,क्या थी जरूरत ,तुम्हे यूं जाने की
हमने ,हरदम तुम्हारी ख्वाइशों का ख्याल रखा
तुम्हारी,जरूरतों,फरमाइशों का ख्याल रखा
कभी गलती से अगर हमसे हुई कोई खता
तुम्हारा हक था,हमें प्यार से तुम देती बता
मगर तुम मौन रही ,ओढ़ करके ख़ामोशी
तुम्हारा जीत न विश्वास सके, हम दोषी
मगर तुमने जो है ये रास्ता अख्तियार किया
छोड़ कर हमको ,किसी गैर से है प्यार किया
खैर,अब जो भी गया है गुजर,गुजरना था
यूं ही ,तिल तिल ,तुम्हारे बिन हमें तड़फना था
मिलोगी एक दिन ,आशा लगाए बैठे है
हम तो उम्मीद का दिया जलाये बैठे है
फिर से आएगी खुशनसीबियाँ ,देगी दस्तक
करेंगे इन्तजार आपका ,क़यामत तक
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
हम खाने में अव्वल नंबर
हम खाने में अव्वल नंबर
कभी समोसा,इडली डोसा,
कभी उतप्पम और साम्बर है
हम हिन्दुस्तानी दुनिया में ,
खाने में अव्वल नंबर है
फल सब्जी को दुनिया में सब,
फल सब्जी जैसे खाते है
पर हम गाजर,लौकी,आलू,
सबका हलवा बनवाते है
भला सोच सकता था कोई ,
कि भूरे कद्दू को लेकर
बने आगरे वाला पेठा ,
अंगूरी ,केसर का मनहर
परवल की सब्जी से भी तो,
हम स्वादिष्ट मिठाई बनाते
आलू,प्याज और पालक की ,
गरमागरम पकोड़ी खाते
आलू की टिक्की खाते है ,
आलू बड़ा ,पाँव और भाजी
सब्जी से ज्यादा सब्जी के ,
व्यंजन खाकर होते राजी
खाने की हर एक चीज में ,
हम बस देते,लज्जत भर है
हम हिन्दुस्तानी दुनिया में ,
खाने में अव्वल नंबर है
बना दूध से रबड़ी ,खुरचन,
कलाकंद और पेड़े प्यारे
दूध फाड़ ,छेने से बनते,
चमचम,रसगुल्ले ,रसवाले
जमा दूध को दही जमाते,
लस्सी और श्रीखंड खाते
आइसक्रीम और कुल्फी से ,
हम गर्मी से राहत पाते
तिल से बने रेवड़ी ,लड्डू ,
खस्ता गज़क ,सर्द मौसम में
मेथी,गोंद ,सौंठ ,मेवे के,
लड्डू खूब बनाए हमने
काजू,पिस्ता ,ड्राय फ्रूट से,
हमने कई मिठाई बनायी
ले गुलाब,गुलकंद बनाया ,
केसर की खुशबू रंग लायी
कभी खान्खरे ,कभी फाफड़े ,
कभी थेपले और पापड है
हम हिन्दुस्तानी दुनिया में ,
खाने में अव्वल नंबर है
मैदा सड़ा ,खमीर उठा कर,
अंग्रेजों ने ब्रेड बनायी
लेकिन हमने उस खमीर से ,
गरमा गरम जलेबी खायी
मोतीचूर बने बेसन से ,
लड्डू,बूंदी,सेव,पकोड़ी
उड़द दाल से बने इमरती ,
हमने कोई चीज न छोड़ी
आटा ,सूजी ,बेसन ,मैदा ,
दाल मूंग की ,या बादामे
ऐसी कोई चीज न जिसका ,
हलवा नहीं बनाया हमने
बारीक रेशे वाली फीनी ,
जाली वाले , घेवर प्यारे
मालपुवे ,मीठे मलाई के,
और गुलाब जामुन मतवाले
चाट ,दही भल्ले ,ललचाते ,
मुंह में आता पानी भर है
हम हिन्दुस्तानी दुनिया में,
खाने में अव्वल नंबर है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कभी समोसा,इडली डोसा,
कभी उतप्पम और साम्बर है
हम हिन्दुस्तानी दुनिया में ,
खाने में अव्वल नंबर है
फल सब्जी को दुनिया में सब,
फल सब्जी जैसे खाते है
पर हम गाजर,लौकी,आलू,
सबका हलवा बनवाते है
भला सोच सकता था कोई ,
कि भूरे कद्दू को लेकर
बने आगरे वाला पेठा ,
अंगूरी ,केसर का मनहर
परवल की सब्जी से भी तो,
हम स्वादिष्ट मिठाई बनाते
आलू,प्याज और पालक की ,
गरमागरम पकोड़ी खाते
आलू की टिक्की खाते है ,
आलू बड़ा ,पाँव और भाजी
सब्जी से ज्यादा सब्जी के ,
व्यंजन खाकर होते राजी
खाने की हर एक चीज में ,
हम बस देते,लज्जत भर है
हम हिन्दुस्तानी दुनिया में ,
खाने में अव्वल नंबर है
बना दूध से रबड़ी ,खुरचन,
कलाकंद और पेड़े प्यारे
दूध फाड़ ,छेने से बनते,
चमचम,रसगुल्ले ,रसवाले
जमा दूध को दही जमाते,
लस्सी और श्रीखंड खाते
आइसक्रीम और कुल्फी से ,
हम गर्मी से राहत पाते
तिल से बने रेवड़ी ,लड्डू ,
खस्ता गज़क ,सर्द मौसम में
मेथी,गोंद ,सौंठ ,मेवे के,
लड्डू खूब बनाए हमने
काजू,पिस्ता ,ड्राय फ्रूट से,
हमने कई मिठाई बनायी
ले गुलाब,गुलकंद बनाया ,
केसर की खुशबू रंग लायी
कभी खान्खरे ,कभी फाफड़े ,
कभी थेपले और पापड है
हम हिन्दुस्तानी दुनिया में ,
खाने में अव्वल नंबर है
मैदा सड़ा ,खमीर उठा कर,
अंग्रेजों ने ब्रेड बनायी
लेकिन हमने उस खमीर से ,
गरमा गरम जलेबी खायी
मोतीचूर बने बेसन से ,
लड्डू,बूंदी,सेव,पकोड़ी
उड़द दाल से बने इमरती ,
हमने कोई चीज न छोड़ी
आटा ,सूजी ,बेसन ,मैदा ,
दाल मूंग की ,या बादामे
ऐसी कोई चीज न जिसका ,
हलवा नहीं बनाया हमने
बारीक रेशे वाली फीनी ,
जाली वाले , घेवर प्यारे
मालपुवे ,मीठे मलाई के,
और गुलाब जामुन मतवाले
चाट ,दही भल्ले ,ललचाते ,
मुंह में आता पानी भर है
हम हिन्दुस्तानी दुनिया में,
खाने में अव्वल नंबर है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'