जीवन बोध
आगम बोध,प्रसूति गृह में,निगमबोध श्मसान में
जीवनबोध बड़ी मुश्किल से ,आता है इंसान में
आता जब मानव दुनिया में ,होता उसको बोध कहाँ
भोलाभाला निश्छल बचपन,काम नहीं और क्रोध कहाँ
और जब जाता है तो उसको,बोध कहाँ रह पाता है
खाली हाथ लिए आता है,खाली हाथों जाता है
जिन के खातिर ,सारा जीवन,रहता है खटपट करता
नाते जाते छूट सभी से, सांस आखरी जब भरता
जीवन भर चिंता में जलता,चिता जलाती मरने पर
एक राख की ढेरी बन कर ,रह जाता अस्थिपंजर
कंचन काया ,जिस पर रहता ,था अभिमान जवानी में
अस्थि राख बन ,तर जाते है ,गंगाजी के पानी में
उसे बोध है,मृत्यु अटल है,फिर भी है अनजाना सा
मोह माया के चक्कर में फस,रहता है दीवाना सा
पास फ़ैल होता रहता है,जीवन के इम्तिहान में
जीवनबोध बड़ी मुश्किल से ,आता है इंसान में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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Wednesday, February 6, 2013
माँ और बीबी
माँ और बीबी
1
माँ बीबी दोनों खड़े,किसको दूं तनख्वाह
बलिहारी माँ आपकी,बीबी दीनी लाय
बीबी दीनी लाय ,आपके मै गुण गाऊं
निशदिन सेवा करूं ,आपके चरण दबाऊं
अब हिसाब के चक्कर में क्यों पड़ती हो माँ
बहुत कर लिया काम,आप आराम करो माँ
2
तनख्वाह में माया बसे,पुत्र कहे समझाय
माया है ठगिनी बहुत,वेद ,पुराण बताय
वेद पुराण बताय,त्याग चिंताएं सारी
प्रभु को सिमरो ,डाल बहू पर जिम्मेदारी
'घोटू 'तनख्वाह क्या ,लाखों का तेरा बेटा
तेरी सेवा करने को हाजिर है बैठा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
1
माँ बीबी दोनों खड़े,किसको दूं तनख्वाह
बलिहारी माँ आपकी,बीबी दीनी लाय
बीबी दीनी लाय ,आपके मै गुण गाऊं
निशदिन सेवा करूं ,आपके चरण दबाऊं
अब हिसाब के चक्कर में क्यों पड़ती हो माँ
बहुत कर लिया काम,आप आराम करो माँ
2
तनख्वाह में माया बसे,पुत्र कहे समझाय
माया है ठगिनी बहुत,वेद ,पुराण बताय
वेद पुराण बताय,त्याग चिंताएं सारी
प्रभु को सिमरो ,डाल बहू पर जिम्मेदारी
'घोटू 'तनख्वाह क्या ,लाखों का तेरा बेटा
तेरी सेवा करने को हाजिर है बैठा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'