सबसे ज्यादा
सर्दी में सर्दी पड़ती है सब से ज्यादा
गर्मी में गर्मी पड़ती है सबसे ज्यादा
हर मौसम का मज़ा ,उसी मौसम में आता
बारिश में बारिश पड़ती है सब से ज्यादा
बारिश बाद बहुत होती है जब बीमारी,
सब से ज्यादा ,खुश होते है ,तभी डॉक्टर
दीवाली पर मिठाई की दूकानों में,
सबसे ज्यादा भीड़ लगाते ,कई कस्टमर
सबसे ज्यादा शहद बना करता बसंत में ,
सब से ज्यादा च्यवनप्राश बिकता सर्दी में
सबसे ज्यादा छतरी बिकती है बारिश में ,
धोबी परेशान ज्यादा दिखता सरदी में
सब से ज्यादा आइसक्रीम लुभाती मन को,
जब होता है गरम गरम मौसम गर्मी का
गरमा गरम पकोड़ी भाती है बारिश में,
सर्दी में गाजर का हलवा ,देशी घी का
सबसे ज्यादा आशिक खुश होते सर्दी में,
क्योंकि दिन छोटे होते और लम्बी रातें
सबसे ज्यादा,पति घबराता है बीबी से,
दुनिया में सबसे लम्बी ,औरत की बातें
एक बरस में ,पंदरह दिन,बस श्राद्ध पक्ष के ,
पंडित जी है सबसे ज्यादा मौज मनाते
तीन,चार यजमानो के घर भोजन करते ,
और दक्षिणा भी अच्छी खासी पा जाते
सबसे अच्छा ,मुझे फरवरी महिना लगता ,
पूरी तनख्वाह ,काम मगर बस अठ्ठाइस दिन
जब चुनाव का मौसम आने वाला होता ,
सबसे ज्यादा ,तब नेताजी,देते दर्शन
सबसे ज्यादा प्यार जताती है पत्नी जी ,
पहली तारीख को,जिस दिन मिलती पगार है
सबसे ज्यादा खुश होते स्कूल के बच्चे,
छुट्टी मिलती,टीचर को आता बुखार है
कभी आपने सोचा भी है ,इस जीवन में,
जाने क्या क्या ,कब कब होता ,सबसे ज्यादा
कई बार देते तुमको दुःख सबसे ज्यादा ,
जिनको आप प्यार करते है सबसे ज्यादा
मदन मोहन बाहेती'घोटू '
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Friday, February 8, 2013
मेरा दिल कमजोर हो गया
मेरा दिल कमजोर हो गया
तब भी था कमजोर हुआ जब देखा पहली बार तुम्हे
होकर पागल दीवाना सा ,ये कर बैठा प्यार तुम्हे
ऐसी डोर बंध गयी फिर तो,तुम्हारे संग नातों में
पड़ जाता कमजोर बिचारा ,तुम्हारी हर बातों में
इतना तुमने प्यार जताया ,मन आनंद विभोर हो गया
मेरा दिल कमजोर हो गया
फिर बच्चों की जिद या हठ का,इस पर इतना जोर पड़ा
कभी प्यार से या गुस्से से ,ये हरदम कमजोर पड़ा
दफ्तर में साहब की घुड़की ,इस दिल को धड़काती थी
सीमित साधन और बढती मंहगाई इसे सताती थी
अब तो देखो ये विद्रोही बनकर के मुंहजोर हो गया
मेरा दिल कमजोर हो गया
धीरे धीरे ,साथ उमर के ,आई ऐसी कमजोरी
सांस फूलने लग जाती है,करने पर मेहनत थोड़ी
डोक्टर ने चेकिंग की और बतलाया कारण मुश्किल का
रक्त प्रवाह हो गया है कम ,तुम्हारे नाजुक दिल का
बढती उमर ,परेशानी का,अब कुछ ऐसा दौर हो गया
मेरा दिल कमजोर हो गया
मदन मोहन बहेती'घोटू'
तब भी था कमजोर हुआ जब देखा पहली बार तुम्हे
होकर पागल दीवाना सा ,ये कर बैठा प्यार तुम्हे
ऐसी डोर बंध गयी फिर तो,तुम्हारे संग नातों में
पड़ जाता कमजोर बिचारा ,तुम्हारी हर बातों में
इतना तुमने प्यार जताया ,मन आनंद विभोर हो गया
मेरा दिल कमजोर हो गया
फिर बच्चों की जिद या हठ का,इस पर इतना जोर पड़ा
कभी प्यार से या गुस्से से ,ये हरदम कमजोर पड़ा
दफ्तर में साहब की घुड़की ,इस दिल को धड़काती थी
सीमित साधन और बढती मंहगाई इसे सताती थी
अब तो देखो ये विद्रोही बनकर के मुंहजोर हो गया
मेरा दिल कमजोर हो गया
धीरे धीरे ,साथ उमर के ,आई ऐसी कमजोरी
सांस फूलने लग जाती है,करने पर मेहनत थोड़ी
डोक्टर ने चेकिंग की और बतलाया कारण मुश्किल का
रक्त प्रवाह हो गया है कम ,तुम्हारे नाजुक दिल का
बढती उमर ,परेशानी का,अब कुछ ऐसा दौर हो गया
मेरा दिल कमजोर हो गया
मदन मोहन बहेती'घोटू'
आइना
आइना
सज संवर कर जब हुई तैयार वो ,
देखने खुद को लगी ले आइना
हम प्रतीक्षा में खड़े बेचैन है ,
और देखो, अब तलक वो आई ना
खुद से है या आईने से इश्क है,
बात अपनी समझ में ये आई ना
वो वहां पर और मै हूँ यंहां पर,
बहुत चुभती ,और कटे तनहाई ना
नहीं मुझको याद ऐसा कोई पल,
जब तुम्हारी याद मुझको आई ना
तरसते है तुम्हारे दीदार को,
खुली आँखें और दिल का आइना
आते ही जल्दी करोगी जाने की,
बात अपनी इसलिए बन पाई ना
इस तरह आओ कि जाओ ही नहीं,
जिस तरह पहले कभी तुम आई ना
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
ऋतू जब रंग बदलती है
ऋतू जब रंग बदलती है
सूरज मंद,छुपे कोहरे में, आये सर्दी का मौसम
बढ़ जाती है इतनी ठिठुरन,सिहर सिहर जाता है तन
साँसे,सर्द,शिथिल हो जाती,सहम सहम कर चलती है
ऋतू जब रंग बदलती है
कितने हरे भरे वृक्षों के , पत्ते पीले पड़ जाते
कर जाते सूना डालों को,साथ छोड़ कर उड़ जाते
झड़ते पात पुराने तब ही ,नयी कोंपलें खिलती है
ऋतू जब रंग बदलती है
तन जलता है,मन जलता है,सूरज इतना जलता है
अपना उग्र रूप दिखला कर,जैसे आग उगलता है
उसकी प्रखर तेज किरणों से,सारी जगती जलती है
ऋतू जब रंग बदलती है
आसमान में ,काले काले से ,बादल छा जाते है
तप्त धरा को शीतल करने,प्रेम नीर बरसाते है
माटी जब पानी में घुल कर,उसका रंग बदलती है
ऋतू जब रंग बदलती है
मदनमोहन बाहेती'घोटू'