लेपटोप पर
मै तुम्हे like करूं और तुम मुझे like करो,
Facebook पर ,ये परस्पर ,दोस्ती अच्छी लगे
अपने दिल के फोटो पर है,Tag मैंने कर लिया ,
नाम जबसे तुम्हारा है ,जिंदगी अच्छी लगे
तुम भी चीं चीं Twit करो और मै भी चीं चीं Twit करूं ,
ये हमारी चहचहाहट ,सभी को अच्छी लगे
Laptop गोद में ले ,देखता तुमको रहूँ ,
Chat हम तुम रहें करते,गुफ्तगू अच्छी लगे
घोटू
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Saturday, March 16, 2013
sale
SALE ! SALE ! SALE ! SALE !
दिल मेरा ऊनी गरम है ,स्वेटर सा मुलायम ,
60 परसेंट डिस्काउंट लगा है ,सेल पर
गयी सर्दी ,बसंती मौसम सुहाना ,आगया ,
फाग के मौसम की मस्ती ले लो होली खेल कर
घोटू
दिल मेरा ऊनी गरम है ,स्वेटर सा मुलायम ,
60 परसेंट डिस्काउंट लगा है ,सेल पर
गयी सर्दी ,बसंती मौसम सुहाना ,आगया ,
फाग के मौसम की मस्ती ले लो होली खेल कर
घोटू
नशा -बुढ़ापे का
नशा -बुढ़ापे का
आदमी पर जब नशा छाता है
वो ठीक से चल भी नहीं सकता ,
डगमगाता है
उसे कुछ भी याद नहीं रहता ,
सब कुछ भूल जाता है
मेरी माँ भी ठीक से चल नहीं सकती ,
डगमगाती है
और मिनिट मिनिट में ,
सारी बातें भूल जाती है ,
नशे के सारे निशां उसमे नज़र आते है,
उमर नब्बे की में भी ऐसा भला होता है
मुझे तो ऐसा कुछ लगता है कि मेरे यारों ,
बुढापे का भी कोई ,अपना नशा होता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
आदमी पर जब नशा छाता है
वो ठीक से चल भी नहीं सकता ,
डगमगाता है
उसे कुछ भी याद नहीं रहता ,
सब कुछ भूल जाता है
मेरी माँ भी ठीक से चल नहीं सकती ,
डगमगाती है
और मिनिट मिनिट में ,
सारी बातें भूल जाती है ,
नशे के सारे निशां उसमे नज़र आते है,
उमर नब्बे की में भी ऐसा भला होता है
मुझे तो ऐसा कुछ लगता है कि मेरे यारों ,
बुढापे का भी कोई ,अपना नशा होता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
आभार प्रदर्शन
आभार प्रदर्शन
मै उस पत्थर का शुक्रिया अदा कर रहा था ,
जिसकी ठोकरों ने ,
मुझे सही रास्ता दिखलाया था
मै उस पत्थर का भी अहसानमंद था ,
जिसने मेरे सर पर लग ,
भीड़ में ,मेरे दुश्मन का पता बतलाया था
मै शुक्रगुजार था उन पत्थरों का भी,
जिन्होंने दीवारों में चुन कर,
मुझे रहने के लिए ,आशियाना दिया था
मै बहुत आभारी था उन मील के पत्थरों का,
जिन्होंने ,जिंदगी के सफ़र में ,
मुझे मेरी मंजिल का पता दिया था
मै उन्हें धन्यवाद दे ही रहा था कि ,
एक पत्थर मुझसे ये बोला ,
'ऐ इंसान तेरा बहुत बहुत शुक्रिया है
तेरी आस्था ने भर दियें है प्राण मुझमे ,
और तूने पूज पूज कर,
मुझे एक पत्थर से देवता बना दिया है '
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
मै उस पत्थर का शुक्रिया अदा कर रहा था ,
जिसकी ठोकरों ने ,
मुझे सही रास्ता दिखलाया था
मै उस पत्थर का भी अहसानमंद था ,
जिसने मेरे सर पर लग ,
भीड़ में ,मेरे दुश्मन का पता बतलाया था
मै शुक्रगुजार था उन पत्थरों का भी,
जिन्होंने दीवारों में चुन कर,
मुझे रहने के लिए ,आशियाना दिया था
मै बहुत आभारी था उन मील के पत्थरों का,
जिन्होंने ,जिंदगी के सफ़र में ,
मुझे मेरी मंजिल का पता दिया था
मै उन्हें धन्यवाद दे ही रहा था कि ,
एक पत्थर मुझसे ये बोला ,
'ऐ इंसान तेरा बहुत बहुत शुक्रिया है
तेरी आस्था ने भर दियें है प्राण मुझमे ,
और तूने पूज पूज कर,
मुझे एक पत्थर से देवता बना दिया है '
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'