Saturday, April 20, 2013

सूरज,बादल और आज की राजनीति


      सूरज,बादल और  आज की राजनीति

जब सत्ता का सूरज उगता ,बादल  जैसे कितने ही दल
उसके आस पास मंडराते ,रंग बदलते  रहते  पल,पल
और सत्ता का समीकरण जब ,पूरा होता,सूरज बढ़ता
तो वह सर पर चढ़ जाता है,प्रखर चमकता,दिखला ,दृढ़ता
और जब ढलने को होता है ,बादल पुनः नज़र आते है
आड़े आते है सूरज के , रंग  बदलते   दिखलाते   है
आज देशकी राजनीती का ,परिवेक्ष है कुछ  ऐसा ही
छुटभैये कितने ही दल का ,है  चरित्र   बादल  जैसा ही

मदन मोहन बाहेती'घोटू'