१
हम उनके चूसे आम को ,फिर से है चूसते ,
देखो हमारे इश्क की ,कैसी है इन्तहा
आता है स्वाद आम का पर संग में हमें ,
उनके लबों के स्वाद का भी मिलता है मज़ा
२
उनके गुलाबी रसभरे ,होठों से था लगा ,
कितने नसीबोंवाला था,'घोटू'वो आम था
उनने जो छोड़ा ,हमने था ,छिलका उठा लिया ,
उनके लबों का उसपे लिपस्टिक निशान था
३
था खुशनसीब आम वो ,उनने ले हाथ में,
होठों से अपने लगा के रस उसका पी लिया
गुठली भी चूसी प्रेम से ,ले ले के जब मज़े ,
इठला के बड़े गर्व से ,गुठली ने ये कहा
दिखने में तो लगती हूँ बड़ी सख्त जान मै ,
मुझको दिया मिठास है अल्लाह का शुक्रिया
उनने लगा के होठों से रस मेरा ले लिया ,
मैंने भी उनके रस भरे ,होठों का रस पिया
४
वो चूसते थे आम ,हमने छीन ले लिया ,
उसकी मिठास ,स्वाद हमें आज भी है याद
हमने जो चूसा आया हमको स्वाद दोगुना ,
थी आम की भी लज्जत ,तेरे होंठ का भी स्वाद
मदन मोहन बाहेती'घोटू'