Wednesday, October 2, 2013

कायापलट

        कायापलट

 आपने मुझको है ये क्या  कर दिया
गेंहूं था मै ,पीस   आटा  कर दिया
इस तरह ,कायापलट ,मेरी  करी ,
घी लगा ,सेका ,परांठा  कर दिया
बांह में एसा समेटा ,आपने ,
समोसे में जैसे  आलू भर दिया
प्यार में अपने डुबाया इस तरह,
रस से रसगुल्ला बना कर भर दिया
मै सडा ,मैदा पड़ा ,उफना हुआ,
टेडा मेडा आपने  जब तल दिया
डुबा कर के चाशनी में प्यार में,
 रस भरे प्यारी जलेबी कर दिया
मै तो सूखी घास का तृण मात्र था,
आपने था प्यार से जब चर लिया
अपने तन में इस तरह से समाया,
दूध सा प्यारा ,सुहाना  कर दिया
गर्ज ये है  ,जो भी था मै ,आपने,
मुझको अपने मन मुताबिक़  गढ़ लिया
काबिले तारीफ़ हरेक अंदाज से,
स्वाद ले लेकर मज़ा पूरा लिया

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गांधी जयन्ती पर

       गांधी जयन्ती पर
                    १
   गांधीजी ,रह गए ,
   फोटो बन,टंग कर
   या फिर है दिल्ली में,
   वे दस जनपथ पर
                   २
   नाम पर सड़कें है,
   मौन सी  पड़ी
   चलती ही रहती है,
    गड्ढों  से  भरी
                ३
     गांधी के नाम की,
     आज भी है आंधी
      बड़े बड़े नोटों पर,
       गांधी  ही गांधी  
 
घोटू