जनता मारती है वोटों से
पोलिस मारती है सोठों से
रईस मारते है नोटों से
बड़ी अदा से मुस्करा कर के ,
हसीन ,मारते है होठों से
बड़ी जालिम ये मार होती है ,
मज़ा आता है इनकी चोंटों से
राजनीति ये एक जुआ है,
शकुनी मारते है गोटों से
रोज ही चेहरा बदलते है ,
चाहिए बचना इन मुखोटों से
चुनाव हार बोले नेताजी ,
जनता मारती है वोटों से
मदन मोहन बाहेती'घोटू'