Thursday, December 26, 2013

आयोग और योग

        आयोग और योग

कितने ही आयोग लाओ,योग पर यही ,
                     अबके नहीं सहयोग मिलेगा चुनाव में
ऐसे किये है जिंदगी भर आपने करम,
                       अनुराग नहीं,रोग  मिलेगा  चुनाव में
मुश्किल से ही ये कहीं ,कभी तैर सकेगी,
                         तुमको पता ना छेद कितने हुए नाव में
भोगा है तुमने राज सुख,जनता ने भोग दुःख,
                          सत्ता से भाग जाओगे ,अबके चुनाव में

घोटू

सात सौ लीटर पानी

       सात सौ लीटर पानी

पानी भरने के लिए ,लम्बी सी कतार
अपने अपने खाली डिब्बे लिए ,
लोग कर रहे थे ,अपनी बारी का इन्तजार
दो महिलायें,उम्र में थोड़ी बड़ी
बातें कर रही थी,भीड़ में खड़ी खड़ी
अब शायद कम हो जायेगी पानी की परेशानी
क्योंकि अब जीत गयी है 'झाड़ू',
हमको मिलेगा रोज सात सौ लीटर पानी
पास खड़ी एक बच्ची ,सोच रही थी ,परेशानी से
ये झाड़ू का क्या सम्बन्ध है पानी से ?
उसने पास खड़ी अम्मा से पूछा ,
माँ ,ये सात सौ लीटर पानी कितना होता है
अम्मा बोली,ये जो तेरी दस लीटर की पीपी है ना,
ऐसी सत्तर पीपी के बराबर होता है
लड़की ने घबरा कर कहा 'हाय राम,
तो क्या हम दिन भर पानी ही भरेंगे ?
घर में तो चार ही बर्तन है,
इतना पानी कहाँ धरेंगे ?
और फिर इतने पानी का हम क्या करेंगे ?
कितने अफ़सोस की बात है  ,
लोग आज शुद्ध पानी के लिए तरसते है
पानी बरसे या न बरसे ,
पानी के नाम पर वोट बरसते है
हम नहीं मुहैया करवा पाये ,शुद्ध पानी भी,
जनता को ,आजादी के अड़सठ साल के भी बाद
क्या नहीं है ये हमारे लिए,
चुल्लू भर पानी में डूब जाने की बात?

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
      कुछ  इंग्लिश -कुछ हिंदी

बन्दर जैसा उछला करता ,ऐसी हालत होती मन की
इसीलिये इंग्लिश भाषा में ,बन्दर को कहते है  मन्की
और उँगलियाँ तो औरत की ,होती है नाज़ुक और सुन्दर
तो फिर भिन्डी को इंग्लिश में ,क्यों कहते है 'लेडी फिंगर'
'बुल 'याने कि सांड होता है ,टकराते इंग्लिश के दो'बुल'
तो हिंदी में बन जाती है ,प्यारी और नाजुक सी 'बुलबुल'
होता है 'लव गेम'शून्य का,सदा खेल में बेडमिंटन के
पर हिंदी में 'खेल प्यार का',कितने फूल खिलाता मन के

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हम आपके है कौन

           हम आपके है कौन

सत्ता में तुम आये हो हमारे ही सहारे ,
                  बैसाखी तो हमारी है ,फिर भी हम  गौण  है
हम गिराया ऐसा नीचे आसमान से ,
                   किस्मत ना साथ,मन मसोस ,चुप है ,मौन है
जनता को बरगलाते कर बातें बड़ी बड़ी ,
                   और हमको रहते कोसते हो तुम घड़ी घड़ी ,
ये प्यार के इजहार का कैसा है तरीका ,
                   हमको बता दोये कि 'हम आपके  कौन है'?    

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

आम आदमी

          आम आदमी

कानो पे है गुलबंद ,सर पे टोपी है सफ़ेद ,
                है सीधा,सादा और खरा ,आम आदमी
ना सरकारी बँगला है ना सरकारी कार है,
              ना है दिखावट उसमे जरा ,आम आदमी  
कहता है भ्रष्टाचार हम ,जड़ से मिटायेंगे ,
              विश्वास से है कितना भरा , आम आदमी
आया है बन के केहरी ,अरविन्द केजरी ,
              है शेर,किसी से न डरा ,आम आदमी

           
मदन मोहन बाहेती'घोटू'