ये मेरे अब्बा कहते थे
लेडीज कालेज की बस को वो ,
तो हुस्न का डब्बाकहते थे
कोई ने थोडा झांक लिया ,
तो 'हाय रब्बा'कहते थे
लड़की उससे ही पटती है,
हो जिसमे जज्बा कहते थे
मुश्किल से अम्मा तेरी पटी ,
ये मेरे अब्बा कहते थे
मिल दोस्त प्यार के बारे में ,
सब अपना तजरबा कहते थे
कोई कहता खट्टा अचार ,
तो कोई मुरब्बा कहते थे
उल्फत में उन पर क्या गुजरी ,
वो कई मरतबा कहते थे
जिनको वो बुलबुल कहते थे,
वो इनको कव्वा कहते थे
औरत में और आदमी में ,
है अंतर क्या क्या कहते थे
जिसमे दम वो आदम होता ,
हौवा को हव्वा कहते थे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
लेडीज कालेज की बस को वो ,
तो हुस्न का डब्बाकहते थे
कोई ने थोडा झांक लिया ,
तो 'हाय रब्बा'कहते थे
लड़की उससे ही पटती है,
हो जिसमे जज्बा कहते थे
मुश्किल से अम्मा तेरी पटी ,
ये मेरे अब्बा कहते थे
मिल दोस्त प्यार के बारे में ,
सब अपना तजरबा कहते थे
कोई कहता खट्टा अचार ,
तो कोई मुरब्बा कहते थे
उल्फत में उन पर क्या गुजरी ,
वो कई मरतबा कहते थे
जिनको वो बुलबुल कहते थे,
वो इनको कव्वा कहते थे
औरत में और आदमी में ,
है अंतर क्या क्या कहते थे
जिसमे दम वो आदम होता ,
हौवा को हव्वा कहते थे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'