तुम्हारे हाथों में
जिन हाथो को हाथों में ले ,होता शादी का संस्कार
जो हाथ पौंछते है आंसू ,और बरसाते है मधुर प्यार
जिन हाथों में रोता बच्चा भी आ किलकारी है भरता
जिन हाथों में बेलन हो तो,पति बेचारा ,सहमा,डरता
साक्षात रूप अन्नपूर्णा का ,जब घुसे रसोई के अंदर
जिन हाथों में झाड़ू आता ,सारा कचरा होता बाहर
जो हाथ डांडिया जब लेते , राधा सा रास रचाते है
जब बन जाते है बाहुपाश ,पत्थर को भी पिघलाते है
जिन हाथों में है बागडोर,पूरे घरबार गृहस्थी की
जो अगर प्यार से सहलाते ,मन में छा जाती मस्ती सी
खा पका हुआ जिनका खाना ,जी करता उन्हें चूम लें हम
उंगली के एक इशारे पर ,जिसके सब नाच रहे हरदम
जो हमें नचाते ,प्यार जता कर ,अपनी मीठी बातों में
अब सौंप दिया इस जीवन का ,सब भार बस उन्ही हाथों में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जिन हाथो को हाथों में ले ,होता शादी का संस्कार
जो हाथ पौंछते है आंसू ,और बरसाते है मधुर प्यार
जिन हाथों में रोता बच्चा भी आ किलकारी है भरता
जिन हाथों में बेलन हो तो,पति बेचारा ,सहमा,डरता
साक्षात रूप अन्नपूर्णा का ,जब घुसे रसोई के अंदर
जिन हाथों में झाड़ू आता ,सारा कचरा होता बाहर
जो हाथ डांडिया जब लेते , राधा सा रास रचाते है
जब बन जाते है बाहुपाश ,पत्थर को भी पिघलाते है
जिन हाथों में है बागडोर,पूरे घरबार गृहस्थी की
जो अगर प्यार से सहलाते ,मन में छा जाती मस्ती सी
खा पका हुआ जिनका खाना ,जी करता उन्हें चूम लें हम
उंगली के एक इशारे पर ,जिसके सब नाच रहे हरदम
जो हमें नचाते ,प्यार जता कर ,अपनी मीठी बातों में
अब सौंप दिया इस जीवन का ,सब भार बस उन्ही हाथों में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'