पैसा और पानी
नहीं हाथ में बिलकुल टिकता,निकल उँगलियों से बहता है
पैसा पानी सा रहता है
पानी तब ही टिक पाता है,रखो बर्फ सा इसे जमा कर
पैसा भी तब ही टिकता है,रखो बैंक में इसे जमा कर
ज्यादा गर्मी पाकर पानी ,बनता वाष्प और उड़ जाता
लोगों की जब जेब गरम हो, पैसा खूब उड़ाया जाता
पानी जब बनता समुद्र है ,तो खारापन आ जाता है
अक्सर ,ज्यादा पैसे वालों में घमंड सा छा जाता है
पानी सींच एक दाने को ,कई गुना कर ,फसल उगाता
लगता जब पैसा धंधे में ,तो वह दिन दिन बढ़ता जाता
जैसा पात्र ,उसी के माफिक, पानी अपना रूप बदलता
रूप बदल जाता लोगों का ,जब उनका सिक्का है चलता
पानी जब बन बहे पसीना ,मेहनत कर पैसा आता है
पैसे वालों के चेहरे पर ,अक्सर पानी आ जाता है
जैसे जल होता है जीवन,पैसा भी होता है जीवन
पानी कलकल कर बहता है ,तो पैसा चलता है खनखन
पैसा लक्ष्मी सा चंचल है ,पानी भी चंचल बहता है
पैसा पानी सा रहता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
नहीं हाथ में बिलकुल टिकता,निकल उँगलियों से बहता है
पैसा पानी सा रहता है
पानी तब ही टिक पाता है,रखो बर्फ सा इसे जमा कर
पैसा भी तब ही टिकता है,रखो बैंक में इसे जमा कर
ज्यादा गर्मी पाकर पानी ,बनता वाष्प और उड़ जाता
लोगों की जब जेब गरम हो, पैसा खूब उड़ाया जाता
पानी जब बनता समुद्र है ,तो खारापन आ जाता है
अक्सर ,ज्यादा पैसे वालों में घमंड सा छा जाता है
पानी सींच एक दाने को ,कई गुना कर ,फसल उगाता
लगता जब पैसा धंधे में ,तो वह दिन दिन बढ़ता जाता
जैसा पात्र ,उसी के माफिक, पानी अपना रूप बदलता
रूप बदल जाता लोगों का ,जब उनका सिक्का है चलता
पानी जब बन बहे पसीना ,मेहनत कर पैसा आता है
पैसे वालों के चेहरे पर ,अक्सर पानी आ जाता है
जैसे जल होता है जीवन,पैसा भी होता है जीवन
पानी कलकल कर बहता है ,तो पैसा चलता है खनखन
पैसा लक्ष्मी सा चंचल है ,पानी भी चंचल बहता है
पैसा पानी सा रहता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'