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Saturday, January 10, 2015
किसी के सामने भी जो नहीं झुकता अकडता है उसे अपने ही जूतों के सामने झुकना पडता है
पडी कुछ इस तरह सर्दी बताये हाल हम कल का रुइ से बादलों की रजाई मे सूर्य जा दुबका हो गया सर्द था मौसम बढ गई इस कदर ठिठुरन रजाई से न वो निकला रजाई से न निकले हम