अलग अलग राधायें
कोई अपना आपा खोती ,तो कोई तृप्त रहती ,धापी
हर एक राधा के जीवन में ,चलती रहती आपाधापी
कोई राधा यमुना तट पर,कान्हा संग रास रचाती है
रहती है व्यस्त कोई घर का ,सब कामकाज निपटाती है
है नहीं जरूरी हर राधा को नाच नाचना आना है
तुम उसे नाचने की बोलो ,तो देती बना बहाना है
कोई राधा ना नाचेगी , बतलाती टेढ़ा है आँगन
कोई राधा तब नाचेगी ,जब तेल मिले उसको नौ मन
यदि नहीं नाचने का उसके ,मन में जो अटल इरादा है
तो कई बहाने बना बना ,बस नहीं नाचती राधा है
यमुना तट ,कृष्ण बुलाते है ,मुरली की ताने बजा बजा
खूंटी ताने सोती रहती ,राधा निद्रा का लिए मज़ा
राधा की अलग अलग धारा ,राधा राधा में है अंतर
कोई को विरह वेदना है, कोई बैठी देखे पिक्चर
कोई प्यासी है तो कोई बरिस्ता में जा पीती है कॉफी
हर एक राधा के जीवन में ,चलती रहती आपाधापी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई अपना आपा खोती ,तो कोई तृप्त रहती ,धापी
हर एक राधा के जीवन में ,चलती रहती आपाधापी
कोई राधा यमुना तट पर,कान्हा संग रास रचाती है
रहती है व्यस्त कोई घर का ,सब कामकाज निपटाती है
है नहीं जरूरी हर राधा को नाच नाचना आना है
तुम उसे नाचने की बोलो ,तो देती बना बहाना है
कोई राधा ना नाचेगी , बतलाती टेढ़ा है आँगन
कोई राधा तब नाचेगी ,जब तेल मिले उसको नौ मन
यदि नहीं नाचने का उसके ,मन में जो अटल इरादा है
तो कई बहाने बना बना ,बस नहीं नाचती राधा है
यमुना तट ,कृष्ण बुलाते है ,मुरली की ताने बजा बजा
खूंटी ताने सोती रहती ,राधा निद्रा का लिए मज़ा
राधा की अलग अलग धारा ,राधा राधा में है अंतर
कोई को विरह वेदना है, कोई बैठी देखे पिक्चर
कोई प्यासी है तो कोई बरिस्ता में जा पीती है कॉफी
हर एक राधा के जीवन में ,चलती रहती आपाधापी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'