तमाशा सब देखेंगे
ऐसा क्या था ,जिसके कारण ,थे इतने मजबूर
आग लगा दिल की बाती में,भाग गए तुम दूर ,
पटाखा जब फूटेगा ,तमाशा सब देखेंगे
मन की सारी दबी भावना ,राह हुई अवरुद्ध
इतना ज्यादा भरा हुआ है ,तन मन में बारूद
एक हल्की चिंगारी भी ,विस्फोट करे भरपूर
पटाखा जब फूटेगा ,तमाशा सब देखेंगे
इतने घाव दे दिए तुमने ,अंग अंग में है पीर
लिखी विधाता ने ये कैसी ,विरहन की तक़दीर
मलहम नहीं लगा तो ये बन जाएंगे नासूर
बहे पीड़ा की लावा ,तमाशा सब देखेंगे
तुमने झूंठी प्रीत दिखा कर,करा दिया मदपान
भरे गुलाबी डोर आँख में ,होंठ बने रसखान
जब भी पान रचेगा ला कर ,इन होठों पर नूर ,
बदन सारा महकेगा ,तमाशा सब देखेंगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
ऐसा क्या था ,जिसके कारण ,थे इतने मजबूर
आग लगा दिल की बाती में,भाग गए तुम दूर ,
पटाखा जब फूटेगा ,तमाशा सब देखेंगे
मन की सारी दबी भावना ,राह हुई अवरुद्ध
इतना ज्यादा भरा हुआ है ,तन मन में बारूद
एक हल्की चिंगारी भी ,विस्फोट करे भरपूर
पटाखा जब फूटेगा ,तमाशा सब देखेंगे
इतने घाव दे दिए तुमने ,अंग अंग में है पीर
लिखी विधाता ने ये कैसी ,विरहन की तक़दीर
मलहम नहीं लगा तो ये बन जाएंगे नासूर
बहे पीड़ा की लावा ,तमाशा सब देखेंगे
तुमने झूंठी प्रीत दिखा कर,करा दिया मदपान
भरे गुलाबी डोर आँख में ,होंठ बने रसखान
जब भी पान रचेगा ला कर ,इन होठों पर नूर ,
बदन सारा महकेगा ,तमाशा सब देखेंगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'