Sunday, February 28, 2016

        चखने का तो हमको हक़ है

हाय बुढ़ापे ,तूने आकर ,ऐसा हाल बिगाड़ दिया है
हरी भरी थी जीवन बगिया ,तूने उसे उजाड़ दिया है
उजले केश,झुर्रियां तन पर ,अब अपनी पहचान यही है
इस हालत में ,प्यार किसी का ,मिल पाना आसान नहीं है
ढंग से खड़े नहीं रह पाते ,और जल्दी ही थक  जाते    है
हुस्न और दुनिया की रंगत ,मुश्किल से ही तक पाते है
क्योंकि आँख में चढ़ा धुंधलका ,आई नज़र में है कमजोरी
गए जवानी के प्यारे दिन ,अब तो याद बची है  कोरी
कामनियां मन को ललचाती ,मगर डालती घास नहीं है
दूर दूर छिटकी रहती है,कोई फटकती  पास  नहीं है
कभी चमकती थी जो काया ,आज पुरानी सी दिखती है
इसीलिये कोई की नज़रें ,खंडहरों पर  ना टिकती  है
चबा नहीं पाते है ढंग से ,दांतों में दम  नहीं  बचा है
बहुत चाहते ,लूट न पाते ,हम खाने का आज मज़ा है
खा भी लिया ,अगर गलती से ,मुश्किल होता उसे पचाना        
उमर बढ़ी ,कमजोर हुआ तन ,उसमे कोई जोर बचा ना
पर अरमान भरा है ये दिल,अब भी धड़क रहा धक धक है
यूं ही कब तक ,रहें तरसते ,चखने का तो ,हमको हक़ है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 
           शैतानियाँ

कुछ बच्चे शैतानी करते है तो भी प्यारे लगते है
कुछ लड़के,शैतानी कर,लड़की को पटाया करते है
कुछ साधू है शैतान बने , आती है खबरें ,यदा कदा
मुंह से कहते राम राम और छुरी बगल में रखें सदा
कुछ डॉक्टर भी शैतान बने ,है सेवा जिनका परम धर्म
कन्या की भ्रूण हत्या करवा ,वो करते रहते पाप कर्म
भोले मासूम मरीजों की ,वो किडनी चोरी करते है
अपनी  शैतानी हरकत से ,अपनी वो तिजोरी भरते है
शैतान बने है कुछ अफसर ,ढाते है जुलम ,मातहत पर
बच्चों का शोषण करते है ,शैतान बने है कुछ टीचर
कुछ शैतानी ,लगती प्यारी ,जो पत्नी हम संग करती है
सजधज कर करती छेड़छाड़ ,सब जिद मनवाया करती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
                 सब चलता है

आँखे चलती,पलकें चलती ,इधर उधर नज़रें चलती है
मुंह चलता ,हम दांत चलाते ,कैंची सी जिव्हा चलती है
चलते हाथ,उँगलियाँ चलती,पैरों से मानव चलता  है
जब तक चलती सांस हमारी ,तब तक ही जीवन चलता है
सूरज चलता रहता दिन भर ,और रात चंदा चलता  है ,
मुश्किल से ही घर चल पाता ,अगर नहीं धंधा चलता है
जल भर कर बादल चलते है,शीतल मंद हवा  चलती है
चंचल सागर लहरें चलती,इठला कर नदिया  चलती है
सरे राह चलते चलते भी ,कोई हमसफ़र मिल जाता है
चक्र समय का जब चलता है,कोई नहीं रोक पाता   है
कुत्ते भोंका ही करते जब मस्ती से हाथी चलता  है
टेढ़ी मेढ़ी चाल ग्रह चलें ,नियती  का  चक्कर चलता है
चालबाज जो चालू होता ,चलता पुर्जा कहलाता  है
जिसका चालचलन अच्छा है,वो सबसे इज्जत पाता है
चलती को गाडी कहते है,जूते,लाठी ,गोली चलती
लेकिन एक शाश्वत सच है,हर घर में  बीबी की चलती
कई बार ,किस्मत अच्छी हो,खोटा सिक्का चल जाता है
भैया हमको सब चलता है,जो फ़ोकट में मिल जाता  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'