धंधा पॉलिटिक्स का
ना तो डिग्री की जरूरत,ना ही पूँजी चाहिए ,
ना किसी की नौकरी ,ना काम कोई रिस्क का
बोलने में हो पटुता ,आता हो दंदफंद अगर,
सबसे ज्यादा फायदेमंद ,धंधा पॉलिटिक्स का
इसलिए ऐ दोस्त हमतुम ,मिल के कुछ ऐसा करें ,
एक दूजे के ओपोजिट ,करे हम नेतागिरी
चन्द अपने अपने चमचों की जुटाएं भीड़ हम ,
धरना दे,वादे करें ,हर चीज कर देंगे फ्री
बनने कॉमनमैन ज्यों गाँधी ने त्यागे वस्त्र थे ,
हुआ केजरीवाल जनप्रिय बाँध मफलर कान पर
वैसे ही हमतुम बनाने ,छवि कॉमन मेन की ,
जब भी पब्लिक में जो जाएँ,फट कपड़े पहनकर
तुम मेरी बखिया उधेड़ो,मैं तुम्हे ऊँगली करू,
एक दूजे को यूं ही हम ,रहे देते गालियां
इस तरह से हमारी दूकान भी चलती रहे ,
मज़ा पब्लिक को मिले ,हम तुम बटोरें तालियां
तुम किसी से ,मुझ पे जूता ,उछलवाओ सभा में,
क्योंकि ब्रेकिंग न्यूज़ बनते,इस तरह के वाकिये
और हम तुम टीवी पर आते रहेंगे रोज ही ,
मिडिया को तो हमेशा ,कुछ मसाला चाहिये
इस तरह पॉपुलरिटी हमारी बढ़ जायेगी ,
और फायरब्रांड नेता ,सब हमे बतलायेंगे
हमारी भी छवि बनेगी ,लड़ेगे हम इलेक्शन ,
हमे है विश्वास कि हम ,जीत निश्चित जाएंगे
कितने ही मतभेद हममें तुममे दिखते हो मगर,
दोस्त बन सत्ता के खातिर ,मिलाएंगे हाथ हम
भरेंगे तिजोरियां ,जनता को जी भर लूट कर,
पांच सालों तक अगर ,यूं ही रहे जो साथ हम
यूं तो संग में बैठ कर ,मिल कर पियेंगे जाम हम ,
मगर पब्लिक को दिखाने ,करेंगे हम दुश्मनी
धंधा पॉलिटिक्स का अपना चलाने वास्ते,
बहुत होती फायदेमंद ,इस तरह की अनबनी
कोई गर जो फस भी जाए ,किसी रिश्वत काण्ड में,
दूसरा पावर में हो तो,मदद वो उसकी करे
इस तरह बेख़ौफ़ होकर ,देश हम चरते रहें ,
सैया हो कोतवाल तो फिर,हम किसी से क्यों डरे
राजनेता करे जो भी,होता है जायज सभी ,
राजनीति में न होता ,काम कुछ 'इथिक्स ' का
इसमें होता ही नहीं है ,रिटायर कोई,कभी ,
सबसे ज्यादा फायदेमंद,धंधा पॉलिटिक्स का
मदन मोहन बाहेती'घोटू'