Sunday, March 26, 2017

      करिश्मा कृष्ण का 
                  १ 
बिन लिए हथियार कर में,महाभारत के समर में ,
पांडवों की जय कराना, ये करिश्मा कृष्ण का था 
छोड़ अपना राज मथुरा,समंदर के किनारे जा ,
द्वारिका नूतन बसाना ,ये करिश्मा कृष्ण का था 
बालपन में ,उँगलियों से ,बांसुरी की धुन बजाना ,
गोपियों का मन रिझाना ये करिश्मा कृष्ण का था 
और बड़े हो उसी ऊँगली ,पर चढ़ा कर के सुदर्शन ,
चक्र ,दुनिया को हिलाना, ये करिश्मा कृष्ण का था 
                    २ 
लोग अक्सर ऐश्वर्य पा ,भूल जाते सखाओं को ,
दोस्ती पर सुदामा के ,संग निभाई  कृष्ण ने थी 
एक पत्नी झेलना मुश्किल ,मगर रख आठ रानी,
जिंदगी, खुश सभी को रख कर बितायी कृष्ण ने थी 
फलों की चिता किये बिन,कर्म की महिमा बता कर,
 महाभारत के समर  में ,गीता सुनाई कृष्ण ने थी 
ऐसा बंशी बजाने का महारथ हासिल किया था ,
उमर भर ही चैन की  ,बंशी बजायी  कृष्ण ने थी 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'              

शार्ट कट 

मूर्ती को प्रभु समझ हम,पाहनो को पूजते है 
देव क्या ,हम देवता के वाहनों को पुजते है 
शिव का वाहन ,नन्दी है तो,हम उसे भी जल चढाते 
और मन की कामना हम ,कान में उसके  सुनाते 
गजानन वाहन है मूषक ,चढाये मोदक उड़ाता 
कान में उसके मनोरथ ,फुसफुसा  कर कहा जाता
चढ़ाते हनुमानजी को, राम का हम नाम लिखते 
भला क्यों सीधे प्रभु से , मांगने में हम  हिचकते 
सोचते है प्रभु से यदि ,करेगा रिकमंड  वाहन 
तो प्रभु जल्दी सुनेंगें, मिलेगा जो चाहता  मन 
काम चमचों से कराना , शार्ट कट का  रास्ता है
 रीति लेकिन ये पुरानी  ,बन गयी अब आस्था  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
शिकायत -पत्नी की 

छोटा सा सौदा लेने में,कितना मोलभाव करते हो 
एक पेंट भी लेनी हो तो ,तुम दस पेंट ट्राय करते हो 
कभी डिजाइन पसन्द न आती ,कभी फिटिंगमे होता संशय 
बना कोई ना कोई बहाना,टाल दिया करते तुम निर्णय 
तो शादी के पहले जिस दिन,मुझे देखने तुम आये थे 
कुछ मिनिटों में ,कैसे शादी का निर्णय तुम ले पाए थे 
जब तुमने मुझको देखा था ,क्या देखा बस चेहरा ,मोहरा 
केवल  नाकनक्श देखे थे,या देखा था बदन  छरहरा 
या फिर मेरे बाल जाल में, अपनी नज़रें उलझाई थी 
या फिर मेरी मीठी बातें ,तुम्हारे  मन को भायी  थी 
देख आवरण ही बस मेरा क्या तुम मुझको आंक सके थे 
सच बतलाना रत्ती भर भी ,मेरे दिल में झाँक सके थे 
जबकि तुम्हे मालूम था तुमको ,जीवन भर है साथ निभाना 
बहुत मायना रखती उस दिन ,तुम्हारी छोटी  हाँ या ना 
कुछ मिनिटों में कितना मुश्किल,होता है ये निर्णय करना 
अपना जीवन साथी चुनना,जिस के संग है जीना ,मरना 
आपस में कितनी मिलती है ,सोच हमारी और तुम्हारी 
एक गलत निर्णय जीवन भर,दोनों पर पड़ सकता भारी 
तो फिर उस दिन क्या अंदर से,तुम्हारा दिल कुछ बोला था 
या फिर शायद मुझे देख कर ,तुम्हारा भी दिल डोला था 
टालमटोल नहीं कर पाए ,तुमने बस ,हामी भर दी  थी 
ये तुम्हारा निर्णय था या ,फिर ये ईश्वर  की मरजी   थी 
कहते है कि सभी जोड़ियां ,है ऊपर से बन कर आती 
यह नियति का निर्णय होता,किसका ,कौन बनेगा साथी 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'