Tuesday, July 18, 2017

 ये हाथ तुम्हारे 

ये हाथ तुम्हारे सुन्दर है ,कोमल है नरम मुलायम है 
फिर भी दिनभर सब काम करे,इन हाथों में इतना दम है 
इन हाथों का स्पर्श मात्र ,मुझको रोमांचित कर देता 
हाथो में हाथ लिए चलना ,जीवन में खुशियां भर देता 
ये हाथ मुझे जब सहलाते ,मुझको सिहरन सी लगती है 
ये हाथ बहुत प्यारे लगते ,जब इन पर मेंहदी सजती  है 
इन हाथों की रेखाओं में, है छुपी हुई  जीवन गाथा 
इन हाथों का जब साथ मिले ,सुख से जीवनपथ कट जाता 
इन हाथों की उंगली में ही ,जब एक अंगूठी पहनाते 
तो जीवन भर के बंधन में ,दो अनजाने भी बंध जाते 
इन हाथों में पहने कंगन ,जब खनका करते रातों में 
एक चिंगारी सी लग जाती,मन के सोये जज्बातों में 
इन हाथों की एक उंगली ही ,जब करती एक इशारा है 
तो बेबस हो नाचा करता ,हर एक पति बेचारा  है
इन हाथों द्वारा बना हुआ ,स्वादिष्ट बहुत लगता भोजन 
तारीफ़ करू,इनको चूमूँ ,ऐसा करता है मेरा मन 
ये हाथ सहारा देते है ,मुश्किल बिगड़े  हालातों में 
मैंने जीवन का सौंप दिया ,सब भार बस इन्ही हाथों में 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
खैर मना बददुआ नहीं दी 

तूने मुझे दुखी करने में ,छोड़ी कोई कसर नहीं थी 
मैने तुझको दुआ नहीं दी,खैर मना बददुआ नहीं दी 

ग्रहण काल में उगता सूरज ,पड़ा ग्रहों पर मेरे भारी 
तहस नहस घरबार हो गया ,ऐसी भड़की थी चिंगारी 
कोई को कुछ नहीं समझती ,इतना तुझमे चढ़ा अहम था 
सबसे समझदार तू जग में ,तेरे मन में  यही बहम था 
तेरी एक एक हरकत में ,नज़र छिछोरापन आता था 
पराकाष्ठा निचलेपन की ,काम तेरा हर दिखलाता था 
तेरे जैसी आत्मकेन्दित , देखी  मैंने  कहीं  नहीं थी 
मैंने तुझको दुआ नहीं दी,खैर मना बददुआ नहीं दी
 
मैंने  सोचा साथ समय के ,सोच तुम्हारी सुधर जायेगी 
आज नहीं तो शायद कल तक तुममे थोड़ी अकल आएगी 
इतनी कटुता और कुटिलता ,तेरे मन में भरी हुई है 
रिश्ते नाते अपनेपन की ,सभी भावना मरी हुई है 
चेहरे पर मुस्कान ओढ़ कर बातें करती ओछी ओछी 
हम भोले थे समझ न पाये ,तेरी चालें ,समझी ,सोची 
पल पल पीड़ा और वेदना ,आंसू पिये और सही थी 
मैंने तुझको दुआ नहीं दी ,खैर मना बददुआ नहीं दी 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'