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Monday, February 25, 2019
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पिरामिड और इंसान
कहते है कि ऊँट जब पहाड़ के नीचे आता है
तब ही वो अपनी औकात समझ पाता है
वैसी ही भावनाएं मेरे मन में हुई जाग्रत
जब मैं मिश्र देश के पिरेमिड के पास खड़ा हुआ ,
मेरा अहम् हुआ आहत
मैंने देखा कि इस विशाल ,भव्य संरचना के आगे ,
इंसान कितना अदना है
फिर सोचा कि ये पिरेमिड भी तो ,
इंसान के हाथों से ही बना है
इंसान का कद कितना ही छोटा क्यों न हो ,
यह उसके बुलंद हौसले और सोच का ही कमाल है
जिसने बनाया ये पिरेमिड बेमिसाल है
जिसका एक एक पत्थर इंसान के आकार के बड़ा है
और जो हजारों वर्षों से ,हर मौसम को झेलता हुआ ,
आज भी सर उठाये गर्व से खड़ा है
दर असल ये विशाल पिरेमिड ,अदने से मानव के ,
मस्तिष्क की सोच की महानता के सूचक है
जिसके बल पर वो पहुँच गया चाँद तक है
आदमी का आकार नहीं ,
ये उसकी सोच और जज्बे का बलबूता है
जिससे वह कामयाबी की ऊँची मंजिलों को छूता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '