Monday, May 20, 2019

आठ सीटर डाइनिंग टेबल पर लगी हुई दो प्लेटें,

और बड़े से कटोरदान में चार पाँच रोटियाँ,

आज के सिकुड़ते परिवार की पहचान बन गये है

बड़ी मान मनोव्वल से कभी कभी साथ साथ ,

त्योहार मनाने को आ जाया करते है ,

बच्चे आजकल अपने ही घर में मेहमान वन गये है

यूँ तो कभी उनसे कुछ मशवरा नहीं लेते

पर फ़ंक्शन और त्योहारों पर कुर्सी पर बैठा देते है ,

ग़ोया बुजुर्ग बस पाँव छूने का सामान बन गये है

गोदी में जिनके खेले ,जिन्होंने ने पालापोसा,

चलना तुम्हें सिखाया ,क़ाबिल तुम्हें बनाया,

वो माँ बाप आज बच्चों के लिए ,अनजान बन गये है


घोटू