दीवाली के उपहार
दीवाली पर दिये जाने वाले उपहार
के होते है चार प्रकार
एक त्वरित खानेवाले
दूसरे अलमारी में जानेवाले
तीसरे काम में आनेवाले
और चौथे निपटानेवाले
त्वरित खानेवाली श्रेणी में
आते है फल और मिठाई
जो दो तीन दिन में जाना चाहिए खाई
वर्ना आसपास पड़ोसियों को देकर
जा सकती है निपटाई
सिर्फ सोहनपपड़ी का डब्बा इसका अपवाद है
जो काम में आ सकता काफी समय बाद है
दूसरी श्रेणी में चाँदी के सिक्के या बर्तन
या लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां आती है
जो सीधी अलमारी में जाती है
और कोई ख़ास मौकों पर
जरुरत पड़ने पर काम में आती है
पुष्पगुच्छ ,मोमबत्तियां ,दीपक ,
रंगोली बंदरवार आदि तीसरी श्रेणी में आती है
जो दिवाली पर ही साजसजावट के काम में आती है
इस श्रेणी में कुछ रसोई के उपकरण ,बर्तन
और क्रॉकरी आदि भी आते है
जिन्हे लोग इसलिए बचाते है कि ये बाद में
कभी भी काम में आ जाते है
चौथी श्रेणी याने निपटानेवाली श्रेणी के उपहार
होते है बेशुमार
बेचारे कई वर्षों से इसी श्रेणी में पाए जाते है
और तीन चार घर घूम कर आपके यहाँ आते है
आपकी कोशिश होती है कि इनमे से ,
जितने भी निकल सके,निकालो
और जल्दी से छुटकारा पा लो
जब न चाहते हुए भी किसी को उपहार देना पड़े
ये काम आते है बड़े
पर ऐसे अटपटे उपहार देकर ,
आप इनसे छुटकारा तो पा लेते है
पर अक्सर ये आपको ,
उपहास का पात्र बना देते है
जैसे एक बच्चे के जन्मदिन पर ,
एक टोकरी में मोमबत्ती और कुछ सूखा मेवा ,
अगर है उपहार दिया जाता
तो ये कहीं से भी उपहार का ओचित्य नहीं बताता
तो ऐसे निपटाने वाले उपहारदाता बंधू जन ,
आपसे है मेरा एक नम्र निवेदन
ऐसे उपहार देने की औपचारिता मत पालो
अटपटे उपहार के बदले ,
एक गुलाब के फूल से ही काम चलालो
क्योकि आपके ऐसे निपटाने वाले उपहार
नहीं दर्शाते है आपका प्यार
बल्कि एक बला टालना कहलाता है
उपहार पानेवाले को किँचित ही प्रसन्नता दे पाता है
लोग आपके उपहार और मनोवृत्ति का मजाक उड़ाते है
उपहार देकर आप उपहास के पात्र बन जाते है
इसलिए आप समझदार बन
बंद करो ये निपटाने वाले उपहार का चलन
घोटू
दीवाली पर दिये जाने वाले उपहार
के होते है चार प्रकार
एक त्वरित खानेवाले
दूसरे अलमारी में जानेवाले
तीसरे काम में आनेवाले
और चौथे निपटानेवाले
त्वरित खानेवाली श्रेणी में
आते है फल और मिठाई
जो दो तीन दिन में जाना चाहिए खाई
वर्ना आसपास पड़ोसियों को देकर
जा सकती है निपटाई
सिर्फ सोहनपपड़ी का डब्बा इसका अपवाद है
जो काम में आ सकता काफी समय बाद है
दूसरी श्रेणी में चाँदी के सिक्के या बर्तन
या लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां आती है
जो सीधी अलमारी में जाती है
और कोई ख़ास मौकों पर
जरुरत पड़ने पर काम में आती है
पुष्पगुच्छ ,मोमबत्तियां ,दीपक ,
रंगोली बंदरवार आदि तीसरी श्रेणी में आती है
जो दिवाली पर ही साजसजावट के काम में आती है
इस श्रेणी में कुछ रसोई के उपकरण ,बर्तन
और क्रॉकरी आदि भी आते है
जिन्हे लोग इसलिए बचाते है कि ये बाद में
कभी भी काम में आ जाते है
चौथी श्रेणी याने निपटानेवाली श्रेणी के उपहार
होते है बेशुमार
बेचारे कई वर्षों से इसी श्रेणी में पाए जाते है
और तीन चार घर घूम कर आपके यहाँ आते है
आपकी कोशिश होती है कि इनमे से ,
जितने भी निकल सके,निकालो
और जल्दी से छुटकारा पा लो
जब न चाहते हुए भी किसी को उपहार देना पड़े
ये काम आते है बड़े
पर ऐसे अटपटे उपहार देकर ,
आप इनसे छुटकारा तो पा लेते है
पर अक्सर ये आपको ,
उपहास का पात्र बना देते है
जैसे एक बच्चे के जन्मदिन पर ,
एक टोकरी में मोमबत्ती और कुछ सूखा मेवा ,
अगर है उपहार दिया जाता
तो ये कहीं से भी उपहार का ओचित्य नहीं बताता
तो ऐसे निपटाने वाले उपहारदाता बंधू जन ,
आपसे है मेरा एक नम्र निवेदन
ऐसे उपहार देने की औपचारिता मत पालो
अटपटे उपहार के बदले ,
एक गुलाब के फूल से ही काम चलालो
क्योकि आपके ऐसे निपटाने वाले उपहार
नहीं दर्शाते है आपका प्यार
बल्कि एक बला टालना कहलाता है
उपहार पानेवाले को किँचित ही प्रसन्नता दे पाता है
लोग आपके उपहार और मनोवृत्ति का मजाक उड़ाते है
उपहार देकर आप उपहास के पात्र बन जाते है
इसलिए आप समझदार बन
बंद करो ये निपटाने वाले उपहार का चलन
घोटू