शब्बाख़ैर

कह कर के शब्बाख़ैर वो  आराम कर रहे  
हमको न आती  नींद हम करवट बदल रहे
वो ख्वाब में खोये है ,हम खोये ख़याल में
हम ठंडी आहें भरते ,वो  खर्राटे  भर  रहे

घोटू 
बड़ी दूर की सूझी

तन्हा थे  वो बीमार थे  कोई न पूछता ,
दिन भर परेशां रहते थे ,बैठे हुए खाली
उनको भी बुढ़ापे में बड़ी दूर की सूझी ,
तिमारदारी के लिए एक नर्स बुलाली  
सुन्दर सी जवां नर्स की फैली जो खबर तो ,
हलचल सी मची ,लग गए बातें बनाने लोग
उनकी तबियत पूछने का लेके बहाना ,
उस नर्स के दीदार को घर आने लगे लोग
सुनसान उनके घर में एक रौनक सी छागयी ,
जब मिलने जुलने वालों की तादाद बढ़ गयी
एक नर्स के आ जाने का ऐसा हुआ असर
चेहरे पे ख़ुशी छागई ,तबियत सुधर  गयी

घोटू