क्षणिकाएं
१
प्यार
तुम्हारे प्रति मेरा प्यार
वैसा ही है जैसे दाढ़ी के बाल
कितना ही करलो ;शेव '
रोज प्रकट होकर रहते है 'सेव '
२
जाल
पत्नियाँ ,अपने पति के आसपास ,
बुन लेती है एक ख़ास
रूप का ,प्यार का ,मोहमाया का जाल
उसे तोड़ कर निकल जाय ,
नहीं है किसी पति की मजाल
३
भाग्य
किसी के पीछे मत भागो ,
चाहे लड़की हो ,चाहे पैसा आपको लुभाएगा
क्योंकि वो अगर आपके भाग्य में है ,
तो भाग कर अपनेआप आपके पास आएगा
४
मित्र
जो आपके अच्छे दिनों में ,
आपके लिए सर के बल आने का करते है गरूर
वो आपके बुरे दिनों में ,
उलटे पैरों भाग जाते है आपसे दूर
सच्चे मित्र ,हर हाल में ,आपके साथ चलते है ,
आपका हाथ थामे नजर आते है जरूर
५
संतुलन
अनावृष्टी
सूख फैलाती है
दुर्भिक्ष और कंगाली लाती है
अतिवृष्टी ,
बाढ़ का कहर ढाती है ,
परेशानी और बदहाली लाती है
संतुलित बरसात ही ,
प्यास बुझाती है
जीवन में खुशहाली लाती है
६
संस्कार
संस्कार ,
आटे की गोल चपाती की तरह होते है
जो संस्कृति के अनुसार
कहीं परांठा
कहीं डोसा
कहीं पैनकेक
और कहीं पिज़्ज़ा कहलाते है
और प्रचलन के अनुसार सब्जी को ,
कहीं अलग से
कहीं भीतर भर कर ,
कहीं ऊपर छिड़क कर खाये जाते है
घोटू
१
प्यार
तुम्हारे प्रति मेरा प्यार
वैसा ही है जैसे दाढ़ी के बाल
कितना ही करलो ;शेव '
रोज प्रकट होकर रहते है 'सेव '
२
जाल
पत्नियाँ ,अपने पति के आसपास ,
बुन लेती है एक ख़ास
रूप का ,प्यार का ,मोहमाया का जाल
उसे तोड़ कर निकल जाय ,
नहीं है किसी पति की मजाल
३
भाग्य
किसी के पीछे मत भागो ,
चाहे लड़की हो ,चाहे पैसा आपको लुभाएगा
क्योंकि वो अगर आपके भाग्य में है ,
तो भाग कर अपनेआप आपके पास आएगा
४
मित्र
जो आपके अच्छे दिनों में ,
आपके लिए सर के बल आने का करते है गरूर
वो आपके बुरे दिनों में ,
उलटे पैरों भाग जाते है आपसे दूर
सच्चे मित्र ,हर हाल में ,आपके साथ चलते है ,
आपका हाथ थामे नजर आते है जरूर
५
संतुलन
अनावृष्टी
सूख फैलाती है
दुर्भिक्ष और कंगाली लाती है
अतिवृष्टी ,
बाढ़ का कहर ढाती है ,
परेशानी और बदहाली लाती है
संतुलित बरसात ही ,
प्यास बुझाती है
जीवन में खुशहाली लाती है
६
संस्कार
संस्कार ,
आटे की गोल चपाती की तरह होते है
जो संस्कृति के अनुसार
कहीं परांठा
कहीं डोसा
कहीं पैनकेक
और कहीं पिज़्ज़ा कहलाते है
और प्रचलन के अनुसार सब्जी को ,
कहीं अलग से
कहीं भीतर भर कर ,
कहीं ऊपर छिड़क कर खाये जाते है
घोटू