मनौती
मन की कोई कामना पूरी होने पर ,
कुछ करने का संकल्प ,
होता है मनौती
पर गौर से देखा जाए तो ,
यह एक तरह की रिश्वत है होती
जो हम भगवान को देते है
और ये कहते है
कि प्रभु ,अगर आप
मेरा फलां फलां काम दोगे साध
तो मैं आपको चढ़ाऊंगा इतना परशाद
या मैं आपको सोने या चांदी का छत्र चढ़ाऊंगा
आपके दर्शन के लिए ,परिवार संग आऊंगा
पर जब आप करते है कोई भी कामना
उसके पूरा होने की ,होती है ५०%सम्भावना
और इस तरह आधी मनोतियां पूर्ण हो जाती है
और उस देवता में ,आपकी श्रद्धा बढ़ जाती है
बचपन से ही हमारे संस्कार
ढल जाते है इस प्रकार
कि भगवान अगर परीक्षा में पास हो जाऊँगा
तो इतने रूपये का परशाद चढ़ाऊंगा
और पास होने पर आप प्रशाद चढ़ाएंगे
हालांकि आधी मिठाई खुद खाएंगे
ऐसे में माँ बाप भी मना नहीं करते
क्योंकि वो भी बचपन से ,
सत्यनारायण की कथा आये है सुनते
और घबराते है कि मनौती पूरी नहीं करने पर
लीलावती कलावती का हश्र ,उन पर न जाए गुजर
हमारी ये ही अंध आस्था
खोल देती है रास्ता
कुछ ख़ास मंदिरों में भीड़ बढ़ाने का
मान्यता पूरी होने पर परशाद चढाने का
इस तरह फलां फलां मंदिर के चमत्कार
का करके प्रचार
हम भेड़धसान की तरह मंदिरो में भीड़ बढ़ा रहे है
परशाद चढ़ा रहे है
आप कितने भी बड़े बुद्धिजीवी हो या अज्ञानी
पर काम बन जाता है तो हो जाते दानी
क्योंकि अगर ५०%लोगों की ५०%मनोकामनाएं
अगर प्रोबेबिलिटी के सिंद्धांत से पूर्ण हो जाए
तो इसका श्रेय मिलता है उस भगवान को ,
और कहा जाता है मनौती का असर दिखा है
और अगर कामना पूरी नहीं होती ,
तो सोचते है भाग्य में नहीं लिखा है
ये हमारी आस्था ही है ,जिस पर संसार टिका है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
मन की कोई कामना पूरी होने पर ,
कुछ करने का संकल्प ,
होता है मनौती
पर गौर से देखा जाए तो ,
यह एक तरह की रिश्वत है होती
जो हम भगवान को देते है
और ये कहते है
कि प्रभु ,अगर आप
मेरा फलां फलां काम दोगे साध
तो मैं आपको चढ़ाऊंगा इतना परशाद
या मैं आपको सोने या चांदी का छत्र चढ़ाऊंगा
आपके दर्शन के लिए ,परिवार संग आऊंगा
पर जब आप करते है कोई भी कामना
उसके पूरा होने की ,होती है ५०%सम्भावना
और इस तरह आधी मनोतियां पूर्ण हो जाती है
और उस देवता में ,आपकी श्रद्धा बढ़ जाती है
बचपन से ही हमारे संस्कार
ढल जाते है इस प्रकार
कि भगवान अगर परीक्षा में पास हो जाऊँगा
तो इतने रूपये का परशाद चढ़ाऊंगा
और पास होने पर आप प्रशाद चढ़ाएंगे
हालांकि आधी मिठाई खुद खाएंगे
ऐसे में माँ बाप भी मना नहीं करते
क्योंकि वो भी बचपन से ,
सत्यनारायण की कथा आये है सुनते
और घबराते है कि मनौती पूरी नहीं करने पर
लीलावती कलावती का हश्र ,उन पर न जाए गुजर
हमारी ये ही अंध आस्था
खोल देती है रास्ता
कुछ ख़ास मंदिरों में भीड़ बढ़ाने का
मान्यता पूरी होने पर परशाद चढाने का
इस तरह फलां फलां मंदिर के चमत्कार
का करके प्रचार
हम भेड़धसान की तरह मंदिरो में भीड़ बढ़ा रहे है
परशाद चढ़ा रहे है
आप कितने भी बड़े बुद्धिजीवी हो या अज्ञानी
पर काम बन जाता है तो हो जाते दानी
क्योंकि अगर ५०%लोगों की ५०%मनोकामनाएं
अगर प्रोबेबिलिटी के सिंद्धांत से पूर्ण हो जाए
तो इसका श्रेय मिलता है उस भगवान को ,
और कहा जाता है मनौती का असर दिखा है
और अगर कामना पूरी नहीं होती ,
तो सोचते है भाग्य में नहीं लिखा है
ये हमारी आस्था ही है ,जिस पर संसार टिका है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '