जीवन पथ
मैं जब इस दुनिया में आया
प्रभु ने जीवन मार्ग बताया
जिस रस्ते पर चले महाजन
उस पथ का तुम करो अनुसरण
मैंने तुम्हें चुना मुरलीधर
और तुमको आदर्श मानकर
किया वही तुमने जो किया
तुम जैसा ही जीवन जिया
जीवन पद्धति को अपनाया
दूध दही और मक्खन खाया
गोपी सर की हंडिया फोड़ी
घर-घर जा,की माखन चोरी
मैंने दूध दही और माखन
खाकर किया बदन का पोषण
छेड़छाड़ का मजा उठाया
प्यार गोपियों का भी पाया
किया बांसुरी का भी वादन
और चुराया राधा का मन
अपनी गर्लफ्रेंड के संग में
मैं भी रंगा रास के रंग में
सच वह दिन से बड़े सुहान
फिर फिर हम होने लगे सयाने
मथुरा छोड़ गए तुम गोकुल
कॉलेज गया छोड़ मै स्कूल
राजकाज तुम रहे हो उलझ कर
मैं भी बना बड़ा एक अफसर
और रिटायर होने पहले
तूने त्यागे सभी झमेले
सब लड़ाईया छोड़ी छाड़ी
राजनीति का बना खिलाड़ी
महासमर में महाभारत के
लिप्त रहा पर सबसे बचके
तूने ना हाथियार उठाया
कूटनीति से काम चलाया
गीता का उपदेश सुना कर
दूर किया अर्जुन का सब डर
सागर तीरे बसा द्वारका
दिया संदेशा तूने प्यार का
और द्वारकाधीश कहाया
सबके मन को बहुत लुभाया
देव पुरुष तू महान हो गया
हम सब का भगवान हो गया
मैंने भी गोवा के तट पर
कोठी एक बनाई सुंदर
सपने पूर्ण किए सब मन के
सारे सुख भोगे जीवन के
तुझमें मुझमें बस ये अंतर
आठ पत्नियों का पति बन कर
तूने सारी उमर गुजारी
मै रह कर एक पत्नी धारी
बड़ी शांति से मैं जिया
और प्यार का अमृत पिया
फिर भी प्रभु धन्यवाद तुम्हारा
जीवन काटा सुन्दर प्यारा
तेरे चरण चिन्ह पर चल कर
जीवन जिया बहुत मनोहर
मदन मोहन बाहेती घोटू