Monday, January 23, 2023

कुछ चेहरे 

मेरे जीवन में कुछ चेहरे 
यादों में आ आकर ठहरे 

पहला चेहरा पिताश्री का 
अनुशासन है जिन से सीखा 
मिलनसार कर्मठ और हंसमुख 
धर्मनिष्ट,सेवा को उन्मुख 
बाहर सख्त ,मुलायम था मन 
जिनके कारण संवरा जीवन 
मैंने जिनके आदर्शों से ,
संस्कार पाये हैं गहरे 
मेरे जीवन में कुछ चेहरे 
यादों में आ आकर ठहरे 

याद बहुत आती है मां की 
जो एक मूरत थी ममता की 
नयनो से था नेह उमड़ता 
और विचारों में थी दृढ़ता 
जिसने हर पल मुझे संभाला 
लाड़ दुलार प्यार से पाला 
जिसके आशीर्वादो से ही ,
पूर्ण हुए सब स्वप्न सुनहरे 
मेरे जीवन में कुछ चेहरे 
यादों में आ आकर ठहरे 

याद आती वह प्यारी दादी 
भोली भाली ,सीधी सादी 
कार्य कुशल ,साहस की मूर्ति 
उम्र अधिक पर कायम फुर्ती 
सब बच्चों पर प्यार लुटाती
सुना कहानी ,मन बहलाती 
जिसके संरक्षण में बीते,
 बचपन के वो दिन सुनहरे 
 मेरे जीवन में कुछ चेहरे 
 यादों में आ आकर ठहरे 
 
 भाई बहन का रिश्ता प्यारा 
 बचपन जिनके साथ गुजारा
 प्यारी पत्नी, प्यार लुटाती 
 हर सुख दुख में साथ निभाती
 प्यारा बेटा ,प्यारी बिटिया 
 ले आए जीवन में खुशियां 
 जिनने, सबने सदा निभाए,
 परिवार के रिश्ते गहरे 
 मेरे जीवन में कुछ चेहरे 
 यादों में आ आकर ठहरे 
 
फिर कुछ अपने और पराए 
कार्यक्षेत्र में जो टकराए  
कोई मोहब्बत ,कुछ मतलब के 
अलग-अलग है किस्से सबके 
कुछ प्रति मन में प्यार जगा भी
उनमें कुछ ने मुझे ठगा भी
कभी किसी ने प्यार लुटाया,
 घाव दे गया कोई गहरे 
 मेरे जीवन के कुछ चेहरे 
 यादों में आ आकर ठहरे

मदन मोहन बाहेती घोटू 
सर्दी की सीख 

जाते-जाते सीख दे गया ,
मौसम सर्दी भरा भयंकर 
कोई कुछ न बिगाड़ सकेगा ,
अगर रखोगे खुद को ढक कर

चाहे हवा हो चुभने वाली ,
या फिर ठिठुराता मौसम हो
 चाहे कोहरा कहर ढा रहा,
 और हो गया सूरज गुम हो 
 भले धूप ने फेर लिया हो ,
 इस दुख की बेला में मुख हो
 परिस्थिति अनुकूल नहीं हो,
 उल्टा अगर हवा का रुख हो 
 ऐसे में अपना बचाव तुम ,
 करो यही है अति आवश्यक
 शीत शत्रु से बदन बचाओ ,
 कंबल और रजाई से ढक 
 और यह सबसे बेहतर होगा,
  छुपे रहो तुम घर के अंदर 
  जाते-जाते सीख दे गया 
  मौसम सर्दी भरा भयंकर 
  
 जीवन सुख दुख का संगम है 
 कभी सर्द है,कभी गरम है 
 नहीं जरूरी, हर स्थिति में ,
 टक्कर लेना ही उत्तम है 
 कभी-कभी अज्ञातवास में ,
 पांडव जैसा रहना छुप कर 
 जीवन के संघर्ष काल में,
 अक्सर हो सकता है हितकर 
 यह कमजोरी नहीं तुम्हारी 
 किंतु खेल का एक दाव है 
 शत्रु अगर हावी है तुम पर,
 तो झुक जाने मे बचाव है 
 बिना लड़े ही जीत जाओगे,
 अगर रहोगे थोड़ा बचकर 
 जाते जाते सीख दे गया ,
  मौसम सर्दी भरा भयंकर 

मदन मोहन बाहेती घोटू