एक नारी का अंतरद्वंद
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मेरा धृष्ट राज
यदि काम ,क्रोध,लोभ, मोह ,में अँधा है,
तो क्या मै भी गांधारी की तरह,
अपनी आँखों पर पट्टी बांध लूं ?
मेरा लक्ष्मण,
अपने भ्राता की सेवा में,
वन वन भटके,
और मै उर्मिला की तरह,
अपने यौवन के चौदह वर्ष
विरह के आंसुवों में भीगती रहूँ ?
अगर कोई इन्द्र,
मेरे पति गौतम का रूप धर,
मेरे साथ छल कपट करे,
तो क्या मै पत्थर की अहिल्या बन जाऊ ?
कोई अर्जुन मुझे स्वयंबर में जीते,
और मै अपनी सास के कहने पर,
पांच पांडव भ्राताओं की,
पत्नी बन,बंट जाऊ?
तो मै क्यों नहीं कुंती की तरह,
कवांरेपन में कर्ण की माँ,
या पाण्डु की पत्नी होने पर भी,
धर्मराज ,इंद्र,और पवन का आव्हान कर,
तीन पुत्रों की माँ नहीं बन सकती?
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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मेरा धृष्ट राज
यदि काम ,क्रोध,लोभ, मोह ,में अँधा है,
तो क्या मै भी गांधारी की तरह,
अपनी आँखों पर पट्टी बांध लूं ?
मेरा लक्ष्मण,
अपने भ्राता की सेवा में,
वन वन भटके,
और मै उर्मिला की तरह,
अपने यौवन के चौदह वर्ष
विरह के आंसुवों में भीगती रहूँ ?
अगर कोई इन्द्र,
मेरे पति गौतम का रूप धर,
मेरे साथ छल कपट करे,
तो क्या मै पत्थर की अहिल्या बन जाऊ ?
कोई अर्जुन मुझे स्वयंबर में जीते,
और मै अपनी सास के कहने पर,
पांच पांडव भ्राताओं की,
पत्नी बन,बंट जाऊ?
तो मै क्यों नहीं कुंती की तरह,
कवांरेपन में कर्ण की माँ,
या पाण्डु की पत्नी होने पर भी,
धर्मराज ,इंद्र,और पवन का आव्हान कर,
तीन पुत्रों की माँ नहीं बन सकती?
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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