हम साथ साथ है
बहुत उछाला, इक दूजे पर हमने कीचड़
बहुत गालियां दी आपस में आगे बढ़ बढ़
जो भड़ास थी मन में ,सारी निकल गयी है
ये जुबान भी अब चुप है,कुछ संभल गयी है
भाई भाई में ,खटपट तो चलती रहती है
जाने अनजाने होती गलती रहती है
अहम और दुर्भाव हृदय से सभी निकाले
बिखर न जाए,ये घर अपना ,इसे संभाले
छोड़ दुश्मनी,चलो मिला ले,हाथआज हम
कल भी थे और सदा रहेंगे ,साथ साथ हम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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