Wednesday, June 19, 2024

कोरा कागज 


मैं जब जन्मा था बस एक कोरा कागज था 


पहले दौर में इस पर लिखा गया अआ इ ई 

उसके बाद आई अंग्रेजी की एबीसीडी फिर मछली जल की है रानी

और हंप्टी डंप्टी की कहानी 

फिर प्लस माइनस गुणा और भाग 

ज्ञान ,विज्ञान,साहित्य और इतिहास 

बस एक डिग्री पाना ही मेरा लक्ष्य था 

जब मैं जन्मा था बस एक कोरा कागज था 


इसके बाद जवानी का उन्माद आया 

मन में किसी के प्यार का नशा छाया 

दिल की भावनाएं उस कोरे कागज पर

उभरने लगी प्रेम पत्र बनकर 

वह भी क्या गजब की उम्र आई थी 

किसी के प्रति इतनी दीवानगी छाई थी

वह जवानी वाला दौर भी गजब था 

मैं जब जन्मा था बस एक कोरा कागज था 


फिर शादी हुई और गृहस्थी का फेरा 

घर चलाने की चिंता ने था घेरा 

नौकरी और बिजनेस में व्यस्त रहकर लिखता रहा बस हिसाब कोरे कागज पर 

धीरे-धीरे वक्त के संग संग 

काला होता गया मेरा सफ़ेद  रंग 

जैसे काले बालों का रंग सफेद झक था 

मैं जब जन्मा था बस एक कोरा कागज था 


उम्र के साथ जब बुढ़ापे ने पकड़ा 

धीरे-धीरे कई बीमारी में जकड़ा 

अंग पड़े ढीले, बिगड़ने लगी सेहत 

पहले जैसी रही ना हमारी अहमियत 

मुड़े तुड़े कागज की हालत हो गई दयनीय बस इतनी जगह खाली थी जिस पर लिखा जाना था स्वर्गीय 

नियति ने लिखा हुआ पहले ही सब था 

मैं जब जन्मा था बस एक कोरा कागज था


मदन मोहन बाहेती घोटू

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