मैंने तुझको देख लिया है
मैंने पंखुड़ी में गुलाब की , हंसती बिजली ना देखी थी
बारह मास रहे जो छाई,ऐसी बदली ना देखी थी
ना देखे थे क्षीर सरोवर,उन में मछली ना देखी थी
सारी चीजें नजर आ गई ,मैंने तुझको देख लिया है
तीर छोड़ कर तने रहे वो तीर कमान नहीं देखे थे
पियो उमर भर पर ना खाली हो वो जाम नहीं देखे थे
गालों की लाली में सिमटे , वो तूफान नहीं देखे थे
सारी चीजें नजर आ गई मैंने तुझको देख लिया है
ढूंढा घट घट, घट पर पनघट, घट पनघट पर ना देखे थे
कदली के स्तंभों ऊपर ,लगे आम्र फल ना देखे थे
सरिता की लहरों में मैंने,भरे समंदर ना देखे थे
सारी चीजें नजर आ गई ,मैंने तुझको देख लिया है
मदन मोहन बाहेती घोटू