रसोई घर-सबसे बड़ी पाठशाला
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रसोईघर, सबसे बड़ी पाठशाला है
जहाँ,हर कदम आपको ज्ञान मिलता निराला है
आपने ,ठीक से गर खाना बनाना सीख लिया
तो समझ लो,सारे जहाँ को जीत लिया
रोटी बनाने की कला,जिंदगी जीने की कला जैसी है होती
क्योंकि आटे की और पानी की,
होती है अलग अलग संस्कृती
जैसे सास बहू की या पति पत्नी की
जब तक पानी की संस्कृती का,
आटे की संस्कृती से,
सही अनुपात में,
सही ढंग से समावेश नहीं होता
आटा सही ढंग से नहीं गुन्धता है
कई बार जब पानी की संस्कृती ,
ज्यादा जोर मारती है
तो आटा गीला हो जाता है
और किये कराये पर पलीता फिर जाता है
आटा गुथने के बाद,
रोटी बेलना भी एक कला है
प्यार का पलेथन हो,
तो रोटी चकले से नहीं चिपकती
अनुशाशन के बेलन का दबाब,
यदि सब तरफ बराबर हो,
तो रोटियां गोल और समतल बिलती है
और ऐसी गोल रोटियां,फूलती भी अच्छी है
देखने और खाने में भी,बड़ी स्वाद होती है
अगर हम एक तरफ ज्यादा दबाब देंगे ,
और दूसरी तरफ कम
तो रोटियां ,न तो गोल बनेगी,न फूलेंगी,
बस आपकी फूहड़ता का ही परिचय देंगी
गृहस्थी के गर्म तवे पर,
रोटियां सेकना भी,एक कला जैसी है
समुचित दबाब और हर तरफ बराबर सिकाई,
रोटी को अच्छा फुला देती है
और थोड़ी सी भी लापवाही,
आपके हाथों को,गरम तवे से,
चिपका कर जला देती है
जीवन की तरह,रसोईघर में भी,
कई मसाले होते है,
जिनकी सबकी प्रकृति भिन्न भिन्न है
कोई तीखा,कोई मीठा,कोई चटपटा या नमकीन है
सही अनुपात में ,सही ढंग से,
मसालों का इस्तेमाल
खाने को बना देता है लज़ीज़ और बेमिसाल
इसी तरह जीवन के रसों का ,सही समन्वय
जीवन को बनाता है,स्वादिष्ट और सुखमय
अगर आपको,आलू की तरह,
हर सब्जी के साथ मिलकर,
उसका स्वाद बढ़ने का आटा है हुनर
तो समझ लो ,गृहस्थी की पाकशाला में,
आपका वर्चस्व कायम रहेगा उम्र भर
और आपका घर ,
सुख और शांति से महकने वाला है
जीवन जीने की यही कला है,
और रसोईघर सबसे बड़ी पाठशाला है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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रसोईघर, सबसे बड़ी पाठशाला है
जहाँ,हर कदम आपको ज्ञान मिलता निराला है
आपने ,ठीक से गर खाना बनाना सीख लिया
तो समझ लो,सारे जहाँ को जीत लिया
रोटी बनाने की कला,जिंदगी जीने की कला जैसी है होती
क्योंकि आटे की और पानी की,
होती है अलग अलग संस्कृती
जैसे सास बहू की या पति पत्नी की
जब तक पानी की संस्कृती का,
आटे की संस्कृती से,
सही अनुपात में,
सही ढंग से समावेश नहीं होता
आटा सही ढंग से नहीं गुन्धता है
कई बार जब पानी की संस्कृती ,
ज्यादा जोर मारती है
तो आटा गीला हो जाता है
और किये कराये पर पलीता फिर जाता है
आटा गुथने के बाद,
रोटी बेलना भी एक कला है
प्यार का पलेथन हो,
तो रोटी चकले से नहीं चिपकती
अनुशाशन के बेलन का दबाब,
यदि सब तरफ बराबर हो,
तो रोटियां गोल और समतल बिलती है
और ऐसी गोल रोटियां,फूलती भी अच्छी है
देखने और खाने में भी,बड़ी स्वाद होती है
अगर हम एक तरफ ज्यादा दबाब देंगे ,
और दूसरी तरफ कम
तो रोटियां ,न तो गोल बनेगी,न फूलेंगी,
बस आपकी फूहड़ता का ही परिचय देंगी
गृहस्थी के गर्म तवे पर,
रोटियां सेकना भी,एक कला जैसी है
समुचित दबाब और हर तरफ बराबर सिकाई,
रोटी को अच्छा फुला देती है
और थोड़ी सी भी लापवाही,
आपके हाथों को,गरम तवे से,
चिपका कर जला देती है
जीवन की तरह,रसोईघर में भी,
कई मसाले होते है,
जिनकी सबकी प्रकृति भिन्न भिन्न है
कोई तीखा,कोई मीठा,कोई चटपटा या नमकीन है
सही अनुपात में ,सही ढंग से,
मसालों का इस्तेमाल
खाने को बना देता है लज़ीज़ और बेमिसाल
इसी तरह जीवन के रसों का ,सही समन्वय
जीवन को बनाता है,स्वादिष्ट और सुखमय
अगर आपको,आलू की तरह,
हर सब्जी के साथ मिलकर,
उसका स्वाद बढ़ने का आटा है हुनर
तो समझ लो ,गृहस्थी की पाकशाला में,
आपका वर्चस्व कायम रहेगा उम्र भर
और आपका घर ,
सुख और शांति से महकने वाला है
जीवन जीने की यही कला है,
और रसोईघर सबसे बड़ी पाठशाला है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
अगर आपको,आलू की तरह,
ReplyDeleteहर सब्जी के साथ मिलकर,
उसका स्वाद बढ़ने का आटा है हुनर
तो समझ लो ,गृहस्थी की पाकशाला में,
आपका वर्चस्व कायम रहेगा उम्र भर
बहुत खूब सर