मजबूरी
नींद तो अब लगने का ,नाम नहीं लेती है
आशिक़ी दूर भगने का,नाम नहीं लेती है
जी तो करता है ,सेकना अलाव में तन को,
लकड़ियां पर सुलगने का नाम नहीं लेती है
घोटू
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