Thursday, January 19, 2012

मातृभूमि

मातृभूमि 
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हे मातृभूमि तुझको प्रणाम
शत शत प्रणाम,शत शत प्रणाम
तेरी माटी में खेला मै
तेरी माटी  में मैला  मै
तेरी गोदी में बड़ा  हुआ
चलना सीखा और खड़ा हुआ
अ आ इ ई पढना सीखा
बाधाओं से लड़ना  सीखा

गिल्ली डंडा ,कंचे खेले
ये खेल बड़े थे अलबेले
लट्टू ,गेंदा,लंगड़ी घोड़ी
पेड़ों पर चढ़ ,जामुन तोड़ी
सीताफल खाये लगा पाल
दिनभर मस्ती,दिन भर धमाल

आगर की माटी लाल लाल
मेरा अबीर,मेरी गुलाल
मेरी प्रगति मेरा विकास
है सब इस माटी का प्रसाद
लेलो तुम चाहे कोई नाम
हम तो है वो ही घोटू राम
हे मातृभूमि तुझको प्रणाम
शत शत प्रणाम,शत शत प्रणाम

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


गुल से गुलकंद

गुल से गुलकंद
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पहले थी तुम कली
मन को लगती भली
खिल कर फूल बनी
तुम खुशबू से सनी
महकाया  जीवन
हर पल और हर क्षण
पखुडी पखुडी खुली
मन में मिश्री  घुली
गुल,गुलकंद हुआ
उर आनंद   हुआ
असर  उमर का पड़ा
दिन दिन प्यार बढ़ा
कली,फूल,गुलकंद
हरदम रही   पसंद
खुशबू प्यार भरी
उम्र यूं ही गुजरी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'