मेंहदी
हरे पत्ते थे झाडी के, खड़े थे यूं ही जंगल में
मगर किस्मत गयी उनकी ,बदल बस एक ही पल में
हुए कुर्बान पिस कर के ,हुस्न का साथ जब पाया
हाथ में उनके जब आये ,रंग किस्मत का पलटाया
हो गया लाल रंग उनका , समां कर तन में गौरी के
छोड़ दी छाप कुछ ऐसी ,बस गए मन में गौरी के
सुहागन सज गयी प्यारी ,पिया ने हाथ जब चूमा
प्यार कुछ ऐसा गरमाया ,चढ़ गया रंग दिन दूना
नहीं इतना सिरफ़ केवल,जोर किस्मत ने फिर मारा
चढ़ा कर सर पे गौरी ने ,सजाया रूप निज प्यारा
रंग लिए केश सब अपने ,चमक जुल्फों में यूं आयी
छटा बालों की यूं निखरी ,सभी के मन को वो भायी
चिन्ह सुहाग का तब से ,बतायी जाती मेंहदी है
तीज,त्योंहार,शादी में ,लगाई जाती मेंहदी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
हरे पत्ते थे झाडी के, खड़े थे यूं ही जंगल में
मगर किस्मत गयी उनकी ,बदल बस एक ही पल में
हुए कुर्बान पिस कर के ,हुस्न का साथ जब पाया
हाथ में उनके जब आये ,रंग किस्मत का पलटाया
हो गया लाल रंग उनका , समां कर तन में गौरी के
छोड़ दी छाप कुछ ऐसी ,बस गए मन में गौरी के
सुहागन सज गयी प्यारी ,पिया ने हाथ जब चूमा
प्यार कुछ ऐसा गरमाया ,चढ़ गया रंग दिन दूना
नहीं इतना सिरफ़ केवल,जोर किस्मत ने फिर मारा
चढ़ा कर सर पे गौरी ने ,सजाया रूप निज प्यारा
रंग लिए केश सब अपने ,चमक जुल्फों में यूं आयी
छटा बालों की यूं निखरी ,सभी के मन को वो भायी
चिन्ह सुहाग का तब से ,बतायी जाती मेंहदी है
तीज,त्योंहार,शादी में ,लगाई जाती मेंहदी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'