तो कहो क्या बात है
चाय तक की भी कभी ना ,पूछता कंजूस जो,
घर बुला,बोतल भी ही खोले ,तो कहो क्या बात है
कोई महिला रूपसी ,मुस्काये,तुमको लिफ्ट दे,
और अंकल भी न बोले , तो कहो क्या बात है
करने को भगवान का दर्शन जो मंदिर जाओ तुम,
खाने भंडारा मिले जो , तो कहो क्या बात है
भाग्य से बिल्ली के इसको कहते छींका टूटना,
रहे चलते सिलसिले जो, तो कहो क्या बात है
पहने वो मलमल का कुरता ,और वो भी हो सफेद ,
पानी में हो तरबतर जो ,तो कहो क्या बात है
इसको कहते, देता देने वाला छप्पर फाड़ के
मुंह में फिर तो घी और शक्कर ,तो कहो क्या बात है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
चाय तक की भी कभी ना ,पूछता कंजूस जो,
घर बुला,बोतल भी ही खोले ,तो कहो क्या बात है
कोई महिला रूपसी ,मुस्काये,तुमको लिफ्ट दे,
और अंकल भी न बोले , तो कहो क्या बात है
करने को भगवान का दर्शन जो मंदिर जाओ तुम,
खाने भंडारा मिले जो , तो कहो क्या बात है
भाग्य से बिल्ली के इसको कहते छींका टूटना,
रहे चलते सिलसिले जो, तो कहो क्या बात है
पहने वो मलमल का कुरता ,और वो भी हो सफेद ,
पानी में हो तरबतर जो ,तो कहो क्या बात है
इसको कहते, देता देने वाला छप्पर फाड़ के
मुंह में फिर तो घी और शक्कर ,तो कहो क्या बात है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'