Thursday, January 12, 2012

ऐसी प्रीत दिखाओ साजन

ऐसी  प्रीत दिखाओ साजन
बाहुपाश में मुझे बाँध कर,
पिघला दो मेरा सब तन मन
ऐसी प्रीत दिखाओ  साजन
दुखी ह्रदय का त्रास मिटा दो
युगों युगों की प्यास मिटा दो
प्रेम सुधा ऐसी बरसा दो,
भीग जाए मेरा सब तन मन
ऐसी प्रीत दिखाओ साजन
अपने रंग में मुझ को रंग  दो
मन में भर ऐसी उमंग दो
चटका तन के सभी अंग दो,
एसा कस कर बांधो बंधन
ऐसी प्रीत दिखाओ साजन
होठों की सब लाली पिघले
आँखों से कजरा बह निकले
मुंह से बस सिसकारी निकले
एसा दो मुझको आलिंगन
ऐसी प्रीत दिखाओ साजन
मेरा सब कुछ तुमको अर्पण
इक दूजे में पूर्ण समर्पण
जलता मेरे तन का कण कण
प्रीत धार  बरसाओ  साजन
ऐसी प्रीत दिखाओ   साजन

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

जब जब दिल में दर्द हुआ है

जब जब दिल में दर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
जब भी कोई आपके अपने,
             जिनको आप प्यार करते है
मुंह पर मीठी मीठी बातें,
            पीछे पीठ वार   करते है
जब जब भी बेगानों जैसा,
अपना ही हमदर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
रिश्तों के इस नीलाम्बर में,
               कई बार छातें है बादल                                      
होती है कुछ बूंदा बांदी,
               पर फिर प्यार बरसता निश्छल
शिकवे गिले सभी धुल जाते,
मौसम खुल बेगर्द  हुआ है
जब जब दिल में दर्द हुआ है
गलतफहमियों का कोहरा जब,
                आसमान में छा जाता है
देता कुछ भी नहीं दिखाई ,
                रास्ता नज़र नहीं आता है
दूर क्षितिज में अपनेपन का,
सूरज जब भी जर्द हुआ है
तब तब मौसम सर्द हुआ है
शीत ग्रीष्म के ऋतू चक्र के,
                         बीच बसंत ऋतू आती है  
नफरत के पत्ते झड़ते है ,
                        प्रीत कोपलें मुस्काती है
कलियों और भ्रमरों का रिश्ता,
जब खुल कर बेपर्द  हुआ  है
तब तब दिल में दर्द हुआ है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'