Sunday, March 9, 2025

कोई उलाहना नहीं चाहिए 

चाह थी कुछ करूं, मैंने कोशिश की,
 कर न पाया तो बहाना नहीं चाहिए 
मैं क्यों क्या किया और क्या ना किया ,
यह किसी को दिखाना नहीं चाहिए
 मैंने यह न किया, मैंने वह ना किया
 मुझको कोई उलाहना नहीं चाहिए 
मैंने जो भी किया, सच्चे दिल से किया
 मुझको कोई सराहना नहीं चाहिए
 काम आऊं सभी के यह कोशिश थी 
मुझसे जो बन सका मैंने वह सब किया 
चाहे अच्छा लगा या बुरा आपको 
तुमने जैसे लिया ,आपका शुक्रिया

मदन मोहन बाहेती घोटू 
नया सवेरा 

चलो जिंदगी की, एक रात गुजरी,
आएगा कल फिर ,नया एक सवेरा 
प्राची में फिर से, प्रकटेगा सूरज
 चमकेगी किरणें ,मिटेगा अंधेरा 

बादल गमों के, बिखर जाएंगे सब 
खुशी के उजाले, नजर आएंगे अब 

वृक्षों में पत्ते ,विकसेंगे फिर से ,
चहचहाते पंछी, करेंगे बसेरा 
चलो जिंदगी की, एक रात गुजरी,
आएगा फिर कल, नया एक सवेरा 

आशा के पौधे, पनपेंगे फिर से ,
आएगा प्यारा ,बहारों का मौसम 
महकेगी बगिया ,कलियां खिलेगी,
 गूंजेगा फिर से , भ्रमरों का गुंजन

 गुलशन हमारा, गुलजार होगा
 फिर से सुहाना ,यह संसार होगा 

शुभ आगमन होगा, अच्छे दिनों का
 बरसाएगा सुख ,किस्मत का फेरा 
चलो जिंदगी की, एक रात गुजरी,
आएगा कल फिर,नया एक सवेरा

मदन मोहन बाहेती घोटू